प्रसिद्ध श्री गंगा माता शंखोद्वार प्राचीन मंदिर गांधीसागर बैक वाटर से करीब 12 साल बाद बाहर आ गया है। महा भारत काल के माने जाने वाले इस मंदिर को देखने और पूजन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया है।
राजस्थान को अधिक पानी देने से बैक वाटर क्षेत्र में पानी काफी कम होने से यह स्थिति बनी है। चंबल नदी पर बने गांधीसागर बांध के निर्माण के वक्त नीमच से करीब 65 किमी दूर चचौर के नजदीक के उक्त प्राचीन मंदिर के साथ कई गांव भी डूब गए थे। बांध में जल स्तर 1100 मीटर होने पर मंदिर के शिखर से 5 फीट ऊपर तक पानी रहता है। इस बार पड़ोसी राजस्थान को अधिक पानी देने की वजह से डूब क्षेत्र में पानी का लेवल काफी कम हो गया।
महाभारतकालीन मंदिर !
मंदिर में सेवा कर रहे योगी राजू नाथ मान्यताओं के अनुसार दावा करते हैं कि मंदिर महाभारत काल का है। पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान कुछ समय इस क्षेत्र में बिताया था। यहां भीम ने शंखासुर राक्षस का वध किया था। मृत्यु से पूर्व शंखासुर ने पांडवों से वरदान मांगा था।
वरदान के तहत नियत स्थान पर तर्पण करने से अकाल मृत्यु के शिकार व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होगा। पांडवों ने इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना की थी। एक अन्य मान्यता के अनुसार इस स्थान पर भगवान शिव के हाथों शंखासुर मृत्यु को प्राप्त हुआ था और उसे मोक्ष मिला था।
नया मंदिर रामपुरा के पास
पुराना श्री गंगा माता शंखोद्वार मंदिर डूब में आने के बाद रामपुरा के नजदीक भूमि प्रदान की गई थी। जहां नया भव्य मंदिर भी बन चुका है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं और प्रतिवर्ष भव्य मेला भी आयोजित किया जाता है। यह मेला पशुओं के कारोबार के लिए भी पहचाना जाता है।