हालिया चार दिवसीय यूरोपीय प्रवास के दौरान राहुल गांधी जब ब्रिटेन के दौरे पर थे तो आयोजकों की तरफ से चंदा एकत्र करने के लिहाज से अमेरिकी तौर-तरीकों को अपनाने का मामला सामने आया है. जी न्यूज के अंग्रेजी अखबार DNA की रिपोर्ट के मुताबिक बड़े उद्योगपतियों और पत्रकारों के साथ राहुल गांधी के साथ बातचीत के लिए खाने के टेबल की एक सीट के लिए प्रति व्यक्ति 900 पौंड (करीब 82 हजार रुपये) चार्ज करने का मामला सामने आया है. इसको अमेरिकी स्टाइल में चंदा एकत्र करने के तौर-तरीके के रूप में देखा जा रहा है. लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी के भीतर इस कारण नाराजगी के सुर भी उभरे हैं क्योंकि इस तरह से फंड एकत्रीकरण उस कार्यक्रम में किया गया, जिसमें खुद पार्टी अध्यक्ष मुख्य वक्ता थे. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस इस तरह के आयोजन के लिए इंडियन ओवरसीज कांग्रेस (आईओसी) से खफा है.
आईओसी पर उठे सवाल
इस संबंध में एक सूत्र ने कहा, ''पत्रकारों, उद्योगपतियों और हाई-प्रोफाइल लोगों से भरे कार्यक्रम में यदि किसी को आयोजन की वास्तविक प्रकृति के बारे में पता नहीं हो तो यह बहुत अच्छा विचार नहीं है.'' दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष के ब्रिटेन और जर्मनी के चार दिवसीय प्रवास के दौरान आईओसी की तरफ से इस तरह की कई चूक होने के संदर्भ में यह बात कही गई. दरअसल सूत्रों के मुताबिक इसमें जो सबसे बड़ी चूक सामने आ रही है, ''उसके तहत एक ऐसे कार्यक्रम की योजना बनाई गई जिसको भारत के कंजरवेटिव मित्रों की तरफ से रखा गया था. ये एक ऐसी ओवरसीज बॉडी है जो विचारधारा के स्तर पर बीजेपी के करीब दिखती है.
आईओसी अध्यक्ष कमल धालीवाल की निगरानी में ही इसका आयोजन होना था और इसके आयोजक बेरोनेस वर्मा थे. वर्मा को केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली का करीबी माना जाता है. 24 अगस्त के इस प्रस्तावित कार्यक्रम के लिए निमंत्रण भी भेजे जा चुके थे.'' हालांकि ऐन मौके पर इसको उस वक्त कैंसिल किया गया जब भारतीय मूल की लेबर पार्टी की सांसद कीथ वाज ओर वीरेंद्र शर्मा ने इसकी जगह हाउस ऑफ कामंस में एक कार्यक्रम के आयोजन का प्रबंध किया.
इसी तरह के एक अन्य आयोजन में मनोज लाडवा की उपस्थिति से भी पार्टी के भीतर सवाल खड़े हुए हैं. मनोज लंदन में वकील हैं और पीएम नरेंद्र मोदी के लिए चंदा एकत्र करने के अभियान से भी जुड़े रहे हैं. मनोज ने उस कार्यक्रम में राहुल गांधी से दो सवाल भी किए थे-पहला, क्या आपकी पार्टी एनआरसी से सहमत है और दूसरा-क्या आप मानते हैं कि भारत ने सीमापार सर्जकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था. इसी तरह यूके मेगा कांफ्रेंस के आयोजन में खालिस्तान समर्थक एक शख्स ने कार्यक्रम स्थल में घुसने का प्रयास किया था. इस संबंध में नाराजगी जाहिर करते हुए एक सूत्र ने कहा, ''इस तरह की चूक के कारण पार्टी को संभावित अंतरराष्ट्रीय दान दाताओं की तरफ से राजनीतिक फंडिंग के लिहाज से भारी नुकसान हो सकता है.''
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