बिता देता है पूरी उम्र औलाद की हर आरजू पूरी करने में, उसी पिता के सभी सपने बुढ़ापे में लावारिस हो जाते हैं. एक बुजुर्ग पिता की कुछ यही दास्तान है जिसे बुढ़ापे में बेटों ने अनाथ कर दिया है और अपने हाल पर छोड़ दिया है, बावजूद खुद्दारी ऐसी कि इस हाल में भी बुजुर्ग पिता भीख नहीं मांग रहा है, बल्कि चंद किताबें लेकर पटना के फुटपाथ पर ज्ञान बेच रहा है. जिस पिता की मेहनत की बदौलत बेटे ऑफिसर बन गए, वही पिता बेटों के लिए बोझ बन गया और बेटे पिता के जान के दुश्मन.
82 साल के संतराज का गुनाह बस इतना है कि वो बुढ़ापे में पैसे नहीं कमा सकते. पुनपुन का रहने वाला यह बुजुर्ग इस कदर टूट चुका है कि अब रिश्तों से इसका भरोसा भी उठ चुका है. वो हर पराये में ही अब अपनों की तलाश कर रहा है. संत फुटपाथ पर 20 से 25 किताबें लेकर सुबह से शाम तक बैठे रहते हैं और ग्राहकों को उम्मीद भरी नजरों से निहारते हैं. डिजिटल युग में किताबों के खरीदार तो कम हीं मिलते हैं, लेकिन इसकी बुजुर्गियत देखकर चंद किताबें बिक जाती हैं. धूप हो या बारिश या फिर आंधी हो या तूफान, आशियाने के नाम पर संतराज का सहारा फुटपाथ ही होता है.
पटना की फुटपाथ वाली दुकान पर सोये संतराज
छोटी पूंजी में छोटी कमाई से ना तो पेट चल रहा है और ना ही बीमार शरीर के लिए दवा मिल रही है. बीमार और बुजुर्ग शरीर जब थक जाता है तो फुटपाथ पर ही बैठे-बैठे वे लेट जाते हैं या फिर ग्राहकों के आने का इंतजार करने लगते हैं. मीडिया को देखते ही अनायास इसकी आंखों से आंसूओं के सैलाब बहने लगे और कलयुगी बेटे की करतूत बयां करने लगे. हैरानी की बात यह है कि संत के तीन बेटों में दो बेटे ऑफिसर हैं. एक बेटा गुजरात में इंजीनियर तो दूसरा पटना सचिवालय में ऑफिसर, लेकिन सब ने पिता से मुंह फेर लिया है.
हिस्ट्री से ग्रेजुएट संतराज अब और काम नहीं कर सकते, लेकिन मजबूरी में भी भीख मांगना नहीं चाहते और ना ही शरीर ऐसा है कि कोई और काम कर सकते. उनको अपनों से नफरत ऐसी कि वो अब कभी घर लौटना भी नहीं चाहते. यही वजह है कि संतराज अब फुटपाथ पर ही मर जाना चाहते हैं, लेकिन बेटों की शक्ल देखना भी नहीं चाहते.
कहने के लिए दर्जनों वृद्धाश्रम भी खोले गए, लेकिन संतराज को यह भी नसीब नहीं हो सका. चौराहे पर सिसकते और जिंदगी से जंग लड़ते इस बुजुर्ग के आगे से हर रोज आमलोगों से लेकर वीवीआईपी तक गुजरते रहते हैं, लेकिन जब अपने ही बेदर्द हो गए तो जमाने को इनकी क्या परवाह.
Source: News18 Bihar