ऐपल कंपनी में काम करने वाले विवेक तिवारी की 28 सितंबर की रात गोली मारकर हत्या कर दी गई. हत्या करने वाला यूपी पुलिस का सिपाही प्रशांत चौधरी था जो अब अपने साथी संदीप के साथ जेल में है. विवेक की हत्या के बाद विवेक के परिवार को मुआवजे के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. मीडिया से लेकर नेताओं की लंबी बयानबाजी के बाद उन्हें मुआवजा मिल सका. विवेक की पत्नी कल्पना ने एक करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की थी. कुछ मांगें पूरी हो गई हैं और कुछ मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया गया है.
लेकिन दूसरी तरफ गोली मारने वाला प्रशांत है, जो जेल में है. अब सोशल मीडिया पर एक कैंपेन चलाकर प्रशांत के लिए भी पैसे जुटाए जा रहे हैं. और ये भी रकम मामूली नहीं है. प्रशांत और उसके साथी संदीप के लिए सोशल मीडिया के जरिए पांच करोड़ रुपये जुटाने का दावा किया जा रहा है. वीर सिंह राजू की ओर से इस पोस्ट में जो लिखा गया है-
‘हम अपने भाई प्रशांत को देंगे 5 करोड़. नमस्कार भाइयों, मेरे समस्त आरक्षी भाइयों सभी से निवेदन है कि कल जो हमारे भाइयों के साथ घटना घटी, उससे हम सब वाकिफ हैं. जिसने लखनऊ से लेके दिल्ली तक पूरे भारत में सभी न्यूज चैनल मीडिया ने बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया. किसी भी अधिकारी मीडिया ने प्रशांत के फेवर में कुछ नहीं बोला. खुद प्रशांत की पत्नी जो वर्तमान में थाना गोमतीनगर में ही तैनात है, जिन्होंने मीडिया अधिकारी सबके सामने गिड़गिड़ाई. किसी ने कुछ नहीं बोला और यहां तक कि प्रशांत चौधरी और उसकी पत्नी की तहरीर पर मुकदमा भी नहीं लिखा गया. और हमें असलहा क्यों दिया गया, अगर हम अपनी आत्मरक्षा में उसे चला भी नहीं सकते हैं. अगर वो कार ऊपर चढ़ जाती वो मर जाता, तब कुछ नहीं था. खैर आप ज्यादा समझदार हैं, ज्यादा बोलने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.’
कुल मिलाकर ये अपील की गई कि प्रशांत और उसके साथी को आर्थिक मदद दी जाए और ये मदद सब सिपाही मिलकर करें. इस पोस्ट के साथ ही प्रशांत की पत्नी राखी मलिक का अकाउंट नंबर भी शेयर किया गया ताकि लोग उसमें पैसे भेज सकें.
इस अकाउंट में कुछ लोगों ने पैसे भी डाले और उसका स्क्रीन शॉट शेयर किया.
जब पूरे मसले पर हंगामा शुरू हुआ और ऐसा करने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग उठी तो पुलिसवालों ने अपने फेसबुक अकाउंट ही डिऐक्टिवेट कर दिए. इसके बाद ADG जोन लखनऊ राजीव कृष्ण का भी बयान आ गया कि हो सकता है कि कुछ पुलिसकर्मियों को इस घटना के बारे में जानकारी न हो, इसलिए वो ऐसा कर रहे हैं. उनसे कहा गया है कि वो ऐसे पोस्ट न करें और अगर वो फिर भी नहीं मानते हैं तो उनपर ऐक्शन लिया जाएगा.
हालांकि अभी तक किसी भी पुलिसवाले पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है और कुछ लोग अब भी अपने ही विभाग के खिलाफ खुलेआम लिख रहे हैं. और यही वजह है कि लोगों का पुलिस पर से भरोसा उठता जा रहा है. अगर प्रशांत जैसे पुलिसवाले की पांच करोड़ रुपये की मदद के लिए लोग आगे आने लगेंगे, तो फिर ऐसे पुलिसकर्मियों का मनोबल और भी बढ़ जाएगा. उन्हें ये यकीन हो जाएगा कि उन्होंने जो किया है, सही किया है और उनके इस किए में उनके लोग साथ खड़े हैं. ये प्रवृत्ति खतरनाक है. पहले से ही एनकाउंटर के मोड में आई हुई पुलिस सामान्य आदमी की हत्या के बाद भी सहानुभूति बटोरने लगेगी, तो ऐसी हत्याओं का सिलसिला कभी नहीं थमेगा.