देश के सबसे प्रभावी प्रधानमंत्रियों में से एक नरेंद्र मोदी हमेशा ही विपक्षी पार्टियों के निशाने पर रहते हैं। साल 2011 में मुस्लिम टोपी (Taqiyah) पहनने से इंकार कर दिया था। उस दौरान नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और अहमदाबाद में आयोजित सद्भावना उपवास में शिरकत करने पहुंचे थे। मुस्लिम टोपी पहनने से इंकार करने के बाद नरेंद्र मोदी काफी विवादों में घिर गए थे। इस विवाद से खुद को बचाते हुए नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का हवाला देते हुए कहा था कि बापू ने कभी कोई टोपी नहीं पहनी, और उनसे किसी से इस बात पर सवाल नहीं किया।
एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि यदि कोई टोपी एकता का प्रतीक हो सकती है तो महात्मा गांधी ने कभी ऐसी टोपी क्यों नहीं पहनी थी। मोदी ने कहा था कि, ''यदि टोपी पहनना एकता का प्रतीक होता तो महात्मा गांधी, सरदार पटेल, नेहरू जैसी शख्सियत को टोपी पहने क्यों नहीं देखा गया। दरअसल भारत की राजनीति में एक विकृति आ गई है, जहां अपनी बात मनवाने के लिए कुछ भी किया जा सकता है। मेरा काम सभी समुदायों और उनके मूल्यों का सम्मान करना है। मेरे अपने भी कुछ मूल्य हैं, जिन्हें मैं अनदेखा नहीं कर सकता। मैं अपने मूल्यों के साथ ज़िंदगी जीता हूं। अतः मैं टोपी पहनकर और फोटो खिंचवाकर लोगों को धोखा नहीं देता। लेकिन मेरा मानना है कि यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति का अनादर करता है तो उसे सख्त सजा दी जानी चाहिए। ''
गौरतलब है कि सद्भावना उपवास में पहुंचने के बाद एक इमाम ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को टोपी पहनने के लिए दिया था। लेकिन सीएम मोदी ने मौलाना को बड़े ही शांत स्वभाव से टोपी पहनने से इंकार कर दिया। मोदी ने मौलाना से कहा कि वे इसके बजाए एक शॉल ओढ़ना पसंद करेंगे। जिसके बाद इमाम ने मोदी को एक शॉल पहनाया, जिसे मोदी ने तहे दिल से स्वीकार कर लिया।
आखिर 'मुस्लिम टोपी' क्यों नहीं पहनते पीएम मोदी? खुद ही किया था इस राज़ का पर्दाफाश