राग दरबारी पढ़े हो? उसमें श्रीलाल शुक्ल अपने प्रिय शायर रामाधीन से धाकड़ शेर कहलवाते हैं.
क्या करिश्मा है ये रामाधीन भीखमखेड़वी
खोलने कालेज चले आटे की चक्की खुल गई
वही हाल आजकल यूपी का हो रखा है. यहां प्रदेश के हालात बदलने चले थे, शहरों के नाम बदल गए. लेटेस्ट नाम इलाहाबाद का बदला गया है. अब वो प्रयागराज के नाम से जाना जाएगा. ये नाम बदलने वाली बतकही तो बाद में करेंगे पहले ये जान लो इसका असर क्या पड़ा है. सोशल मीडिया पर एक फोटो तैर गया. जो हमारे मेल पर एक भाई सुरोजित मंडल ने भेजा. क्वेस्चन था इट्स राइट ऑर रॉन्ग. मने ये सही है या गलत. फोटो में दिख रहा था इलाहाबाद बैंक का बोर्ड जो प्रयागराज बैंक में बदल गया था.
हमने इलाहाबाद बैंक सर्च करके देखा तो ट्विटर पर बहुत सारे रिजल्ट आए. जिनमें ये तस्वीर अपनी ओरिजनल तस्वीर के साथ नजर आई. ज्यादातर मसला हंसी मजाक का था. ऐसे इस एडिटेड तस्वीर को कोई यूं समझ सकता है कि बोर्ड पर पीला पेंट पोतकर उस पर प्रयागराज लिख दिया गया है. लेकिन सही से देखें तो इसमें वाकई पेंट का इस्तेमाल हुआ है. माइक्रोसॉफ्ट पेंट का. इतना फालतू एडिटिंग फोटोशॉप से कोई नहीं करता है. ये वाकई पेंट का ही कमाल है. टूल बार से पीला कलर उठाकर डस्टर की तरह चला दिया गया है.
फिर ओरिजनल तस्वीर की तलाश में हम इंटरनेट पर बहुत गहरे उतर गए. पड़ताल में सामने आया कि ये ‘मिंट’ का फोटो है.
अब नाम बदलने वाली संस्कृति पर बात करते हैं. ये बहुत ही अच्छी शुरुआत है. अगर नए शहर न बन पा रहे हों तो पुराने शहरों का नाम बदल लिया जाए. इलाहाबाद का नाम जब से प्रयागराज हुआ है कसम से उसमें से स्मार्ट सिटी वाली फीलिंग आ रही है. ऐसा लगता है कि वहां जब 16 अक्टूबर की सुबह लोग जागे होंगे तो चौंक गए होंगे. कई बार आंखों पर पानी मारकर देखा होगा कि जो देख रहे हैं वो सही है या सपना. उन्हें सारी सड़कें लकाचम्म मिली होंगी. सारे अस्पताल दवाइयों और ऑक्सीजन से परिपूर्ण मिले होंगे. हवा और पानी इतना स्वच्छ होगा जैसे नियाग्रा जल प्रपात में रहता है. दिल्ली में अकबर रोड का नाम भी रातोंरात महाराणा प्रताप रोड कर दिया गया था. अब मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी महाराणा प्रताप प्रयागराजी के नाम से जाने जाएंगे.