दिल्ली नगर निगम में प्राइमरी टीचर की भर्ती के लिए परीक्षा हुई. इसी परीक्षा के हिंदी भाषा से जुड़े पेपर में एक जातिसूचक सवाल पूछा गया. ये परीक्षा दिल्ली सबऑर्डिनेट सर्विसेज़ सिलेक्शन बोर्ड (DSSSB) लेती है. इस सवाल में जो शब्द लिखा गया, उसे बेइज्जती के लिए इस्तेमाल किया जाता है. ये शब्द उनकी जाति, उनकी पहचान बना दी गई. अभी भी हमारे आस-पास ऐसे मूर्ख रहते हैं, जो किसी को नीचा दिखाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं. ऐसी ही मानसिकता को ध्यान में रखकर कानून बनाया गया. कि शेड्यूल्ड कास्ट में गिनी जाने वाली जातियों के नाम तक लेना अपराध माना जाएगा.
केजरीवाल सरकार बहुत नाराज हुई है
दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने इस पर गंभीर आपत्ति जताई है. केजरीवाल सरकार में अनुसूचित जाति और जनजाति का विभाग राजेंद्र पाल गौतम के पास है. उन्होंने सवाल किया है कि MCD ने शिक्षक बनने की योग्यता तय करने के लिए ये सवाल चुना कैसे? हिंदी साहित्य में तुलसी, सूरदास, कबीर और इनके जैसे कवियों-लेखकों से जुड़े सवाल हो सकते थे. मगर जातिसूचक शब्द से जुड़ा सवाल करने का तुक ही क्या था? उन्होंने कहा कि इस मामले की आंतरिक जांच कराई जाएगी. दोषी के ऊपर मुकदमा दर्ज किया जाएगा.
DSSSB ने इस सवाल पर माफी मांगी है. कहा है कि कॉपी जांच के समय इस सवाल को जोड़ा ही नहीं जाएगा. उनके मुताबिक, ये गलती अनजाने में हुई. आगे से ऐसा कुछ न हो, इसका खयाल रखा जाएगा.