मोदी जी ने नवरात्रियों के अवसर पर एक फोटो ट्वीट की है और उसके कैप्शन में लिखा है –
दुर्गा अष्टमी के अवसर पर शुभकामनाएं. आशा करता हूं कि मां दुर्गा सभी की आकांक्षाओं को पूरा करेंगी, आनंद के माहौल में वृद्धि करेंगी और हमारे समाज की सभी बुराइयों को खत्म करेंगी.
दुर्गा पूजा की शुभकामनाएं!
अब लोगों का कहना है कि इस फोटो का कैप्शन और ट्वीट आपस में मेल नहीं खाते. क्यूंकि ट्वीट के कैप्शन में जहां मां दुर्गा का ज़िक्र है, वहीं ट्वीट में जो फोटो यूज़ की गई है वो मां काली की है.
आइए इन दोनों में कुछ बेसिक अंतर जानते हैं.
मां दुर्गा –
मां दुर्गा की किसी भी तस्वीर या मूर्ति में अव्वल तो वो शेर के ऊपर बैठी होंगी, उनकी आठ भुजाएं होंगी और हर भुजा में कोई न कोई अस्त्र-शस्त्र होगा जैसे – त्रिशूल, चक्र, गदा, धनुष, शंख, तलवार आदि. मां दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर का वध किया था. उन्हें आदिशक्ति माना गया है. उनके प्रमुख रूपों में सावित्री, लक्ष्मी, और पार्वती हैं जो क्रमशः ब्रह्मा, विष्णु और महेश की अर्धांगिनी हैं.
मां काली –
मां काली के अधिकतर रूपों में वो श्याम वर्ण की दिखेंगी. फिर चाहे किसी तस्वीर में हो या किसी मूर्ति में. साथ ही मां काली ने नर-मुंडों की माला पहनी होगी. उनके एक पैर के नीचे उनके पति शिव लेटे होंगे. मां काली के ललाट में तीसरा नेत्र और चन्द्र रेखा दिखेगी. कंठ में कराल विष का चिन्ह भी होगा.
काली दस विद्याओं में से एक मानी जाती हैं. काली का सबसे पहला संदर्भ अथर्वेद में आता है.
दारुक नाम के राक्षस का वध करने के लिए मां काली अवतरित हुईं. लेकिन इस दौरान वो इतनी क्रोधित हो गईं कि उनको शांत करना मुश्किल हो गया. तब शिव ने एक छोटे बालक का रूप धारण किया और काली के नीचे लेट गए. इतने सुंदर बालक को देखकर काली का वात्सल्य जाग उठा. काली ने बालक को भूखा देख उसे स्तनपान कराया. और तब शिवजी ने दूध के साथ-साथ काली का क्रोध भी पी लिया.
अंततः –
वैसे मां दुर्गा का ही एक रूप मां काली भी हैं इसलिए मोदी जी के ट्वीट में इतनी गलती भी नहीं कि गोया श्रीकृष्ण को इंद्रदेव कह दिया गया हो, बस इसे यूं समझें कि श्रीकृष्ण को विष्णु से संदर्भित कर दिया गया हो.