हिंदुस्तान में कुछ एक विषय ऐसे हैं जिन पर बिना तैयारी के बोला जा सकता है। देश का भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, दहेज प्रथा और राजनीति की सफाई, ये ऐसे विषय हैं जिस पर कभी भी डिबेट करा लीजिए, घंटा दो घंटा गुजर जाएगा और पता ही नहीं चलेगा। दरअसल, इस पर सिर्फ बात की जाती है, काम करना संभव नहीं। क्योंकि एक कहावत है कि हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे।
हिंदुस्तान में राजनीति की सफाई के लिए कई बार स्वच्छता अभियान चलाए गए। और हर बार नेताओं ने हाथ में झाड़ू पकड़कर जनता को भरोसा दिलाया कि आप बाल्टी भर वोट गिराइए, हम ऐसी झाड़ू लगाएंगे कि पुरानी से पुरानी गंदगी खत्म हो जाएगी। मजे की बात ये है कि जनता भी खुद को स्मार्ट समझती है, कई सालों से 'इस बार इसको देख लें' वाले मेथड से वोट देती आ रही है। अब गंदगी इतनी पुरानी हो चुकी है कि असल इमानदारी वाले फर्श का रंग भी हम सब भूल चुके हैं।
राजनीति में सफाई की बात, चुनावी मौसम में जोर-शोर से होती है। 2019 के सियासी बादल घुमड़ घुमड़ कर गरजने के लिए बेकरार हो रहे हैं, इसी बीच राजनीति की सफाई की चर्चा सुप्रीम कोर्ट में होने लगी। सुप्रीम कोर्ट ने दागी नेताओं के कानून बनाए जाने पर कहा कि इस मुद्दे को लेकर नेता लोग संसद के लोग बैंइठें, चर्चा करें और एक बिल बनाकर पास करा लें। हमें काहे राजनीति में घसीट रहे हो।
लेकिन मौजूदा सरकार के सामने चिंता है कि अगर ऐसे नियम बना दिए गए और उनको लागू कर दिया गया, तो पक्ष तो छोड़िए, विपक्ष में भी दो-चार लोग बमुश्किल बच पाएंगे।
कुल मिलाकर दागी नेताओं पर कानून बनाए जाने की संभावना उतनी ही है जितनी संभावना सूरज के पश्चिम से उगने की। अब किसी ने कहा है कभी तो निकलेगा ही... इंतजार किजिए, चुप चाप और हां, इस बार वोट हमें ही दीजिएगा।
अगर मोदी जी ने सुप्रीम कोर्ट की ये बात मान ली तो संसद की काफी कुर्सियां हो जाएंगी खाली