जिस तरह पानी अपना रास्ता खुद तलाश लेता है ठीक उसी तरह टैलेंट भी अपना रास्ता खोज निकालता है। महाराष्ट्र की माया खाडवे की कहानी भी कुछ ऐसी है। माया ने पढ़ाई लिखाई नहीं की है, मुफलिसी ने उनसे कूड़ा बीनने का काम कर करवाया। लेकिन माया जानती थी कि वो इसके लिए नहीं बनी हैं, उन्हें लोगों के रुखे व्यवहार से बड़ी टीस पहुंचती थी। माया ने बीच का रास्ता निकाला, जिसने न सिर्फ उनका स्टेटस बदला बल्कि इलाके के तस्वीर भी बदल कर रख दिया।
माया ने पीएम मोदी के हर कदम और मिशन को बड़ी गंभीरता से लिया। जिस 4जी क्रांति की बात प्रधानमंत्री करते हैं, उसी के सहारे उन्होंने स्वच्छता अभियान को एक दिशा दी। माया ने अपने आस पास की गंदगी को फोन में कैद करना शुरू किया। फिर उसके वीडियो को लोगों और अधिकारियों को दिखाने शुरू किए। देखते ही देखते माया की पहल रंग लाने लगी। वो बताती हैं कि जब पहली बार मैंने अधिकारी को वीडियो दिखाया तो उसका असर हुआ। गली के बाहर फैली गंदगी तो तुरंत साफ करवा दिया गया। यहां से मुझे दिशा मिली।
वैसे तो माया ने पढ़ाई-लिखाई नहीं की है लेकिन अब वो बिना झिझक के लैप टॉप को चला लेती हैं। अब उनके पास कैमरे वाला फोन है, जहां भी गंदगी देखती हैं उसे रिकॉर्ड कर लेती हैं। फिर उस वीडियो को लैपटॉप में एडिट करती हैं और अधिकारियों को दिखाती हैं। उनके इस प्रयास से वह न सिर्फ काफी लोकप्रिय हो चुकी हैं बल्कि इलाके के सभी अधिकारी उनको जानते हैं। वो बताती हैं कि पहले जब मैं रिकॉर्डिंग करती थी तो हंसा करते थे, अब वही लोग गंदगी की शिकायत लेकर मेरे पास आते हैं।
माया ने बताया कि पढ़ाई लिखाई नहीं की है लेकिन मोबाइल चलाना सीखा तो हिम्मत मिली। इसी की मदद से कंप्यूटर चलाना सीखा और अब इस सिटीजन जर्नलिस्ट बन चुकी हैं।