भारत के 72वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पूरा देश आजादी के जश्न में डूबा हुआ है. कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक देश के हर एक कोने में आजादी के जश्न की तैयारियां की जा रही हैं. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सबसे खास होता है देश की राजधानी लाल किले पर मनाए जाने वाला जश्न और प्रधानमंत्री की ओर से फहराए जाने वाला तिरंगा झंडा. लाल किले की प्राचीर से फहराए जाने वाला राष्ट्र की शान तिरंगा हर मायने में खास होता है.
बालाकोट जिले में तैयार होता है तिरंगे का कपड़ा
लाल किले पर फहराए जाने वाला यह तिरंगा कर्नाटक से बनकर आता है. इस तिरंगे के लिए खादी का कपड़ा बालाकोट जिले में रहने वाले मजदूर ही बनाते हैं. दरअसल, कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ (केकेजीएसएसएफ) देश का एक मात्र ऐसा संगठन है, जिसे तिरंगा बनाने की आधिकारिक तौर पर इजाजत मिली हुई है. कर्नाटक में ही ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) के मुताबिक राष्ट्रीय ध्वज बनाए जाते हैं. केंद्र और राज्यों की सरकार के अलावा इस स्थान से देश की निजी संस्थाएं भी ऑर्डर देकर तिरंगा बनवाती और मंगवाती हैं.
दो महीने पहले ही दिया जाता है ऑर्डर
लाल किले की प्राचीर पर तिरंगे को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर फहराने के लिए केंद्र सरकार की ओर से कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ (केकेजीएसएसएफ) को लगभग 2 महीने पहले ही ऑर्डर दिया जाता है. इस तिरंगे के लिए खादी बालाकोट के तुलसीगेरी गांव में तैयार की जाती है, खादी की तैयारी के बाद इसे हुबली सेंटर लाया जाता है, जिसके बाद इसकी सिलाई का काम शुरू होता है.
6 चरणों में काम होता है पूरा
इस बात की जानकारी बेहद ही कम लोगों को होती है कि लाल किले पर फहराए जाने वाला तिरंगा 12×8 फीट का होता है, जिसकी कीमत लगभग 6500 रुपये होती है. इस तिरंगे का निर्माण लगभग 6 चरणों में पूरा किया जाता है. ऑर्डर मिलने के सर्वप्रथम तिरंगे के कपड़े के लिए पहले हाथों से कताई की जाती है, फिर बुनाई का काम होता है.
कपड़ा तैयार होने के बाद इसकी रंगाई का काम शुरू होता है. तीनों रंग में कपड़े को रंगवाने के बाद इस पर अशोक चक्र की छपाई होती है. छपाई होने के बाद इसकी सिलाई और बंधाई का काम पूरा किया जाता है. खास बात ये है कि इस काम में ज्यादातर महिलाएं ही शामिल होती हैं.
लापरवाही बरतने पर हो सकती है सजा
तिरंगे की बुनाई, रंगाई और पूरी तैयारी करने के लिए बीआईएस की ओर से जारी की गई गाइडलाइन का सख्ती से पालन किया जाता है. इसके अलावा धागे की मात्रा और सूत की मजबूती का भी ध्यान रखा जाता है. यहां तक की सिलाई के मानकों को भी पहले से ही निर्धारित किया जाता है. अधिकारियों के मुताबिक, अगर तिरंगे को बनाने में किसी तरह की गलती होती है तो उस शख्स को फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002 के तहत तय किए गए मानकों का उल्लंघन करने के आरोप में जुर्माना या सजा या फिर दोनों हो सकते हैं.
कहां से आता हैं लाल किले पर फहराए जाने वाला तिरंगा? जानिए इससे जुड़े कुछ खास तथ्य