shabd-logo

बिना शर्त का प्रेम

9 फरवरी 2023

20 बार देखा गया 20

दुर्बलता, उदासीनता और निराशा जैसे उसके जीवन का अंग बन चुका था, ना जाने क्यों इतनी प्रसिद्धि पाने के बाद जिस कारण से  कुछ दिनों से जिस भी प्रोजेक्ट को अपने हाथ में लेता, उसे निराशा ही हाथ लगती है, एक समय था जब अपना किसी भी प्रोजेक्ट को पास कराने के लिए उसके पास  लोग कतार लगाए खड़े रहते थे, समय न रहता था उसके पास एक भी पल का।
            वह हमेशा अपनी दुनिया में मशगूल रहने वाला एक सीधा-साधा व्यक्तित्व का आदमी था, कभी उसे ना तो किसी बात का अहंकार का था और ना ही कभी उसने किसी का दिल दुखाया हो, फिर भी ना जाने नियति ने कैसा पलटवार किया जो उसका हंसता खेलता परिवार अचानक तबाह हो गया।
           
उसकी पत्नी की मृत्यु के बाद जैसे वह टूट सा गया था, बड़े आश्चर्य की बात थी कि इतनी सरल सौम्य और सुशील महिला पूजा के दौरान ध्यान मग्न होकर जो बैठी तो फिर उठ ही नहीं , सभी आश्चर्यचकित थे, कुछ का कहना था कि चिर निद्रा में चली गई।तो कुछ लोग उसे साध्वी की उपाधि देने लगे, सभी की अपनी-अपनी धारणाएं, लेकिन राकेश के लिए, जैसा उसका जीवन ही छिन गया था।
                 उसके बाद से उसके सभी प्रोजेक्ट फेल होने लगे,क्योंकि वह उस मन से काम नहीं कर पा रहा था, जो उससे पहले उसे सलाहकार मानते थे, वह भी उसकी बुराई करने लगे, जिन्हें सलाहकार इसके बिजनेस के गुण सिखाए, आज वही उसी के बिजनेस को तबाह करने ,छीन लेने पर तुले हुए थे, लेकिन वह अभी भी वही मौन रहता था।
         
             बिल्कुल अकेला बेजान सा शांत एक जगह बैठा रहता था, जैसे वह अपनी निराशा और उदासीनता को चुनौती देने पर लगा और फिर अपनी संपूर्ण सामग्री को समेटकर एक बार उठ खड़ा होना चाहता हो, लेकिन जाने किस व्यवस्था के कारण उठ नहीं पाता। बस एकाग्रचित्त होकर कभी भावगंभीर हो जाता है तो कभी मुस्कुराने लगता था।
            अंततः उसके मित्र से देखा ना गया और उसने उसे कह दिया यार तुम इतने साध्वी इंसान हो, और कहते हैं कि हिमालय की वादियों में स्वयं ईश्वर वास करते हैं,मेरी सलाह मानो कि कुछ दिनों के लिए वहां से हो आओ, अब वैसे भी अब यह समाज ना तो तुम्हारा रहा और ना ही तुम किसी से मिलना चाहते हो,कुछ दिन वहां बिता कर जब अच्छा लगे तो आ जाना, यह सुनते ही जैसे वह इसी बात को सुनने का इंतजार कर रहा था।
                  उठकर तुरंत चल पड़ा, बड़ा चौंकाने वाला व्यवहार था। उसका जैसे उसे कोई आदेश मिला था । वह उठकर चला जैसे अनजान दिशा की ओर, लेकिन ऐसी कोई अदृश्य शक्ति मार्गदर्शन कर रही थी। वह  चला जा रहा था अपनी मस्ती में बिना भूख प्यास मौसम परिवर्तन हर किसी से अनजान होकर बस चला जा रहा था,जैसे ही वह हिमालय की तलहटी पर पहुंचा, कमजोरी के कारण गिर पड़ा, काफी दिनों से बिना कुछ खाए पिए चलते रहने के कारण शरीर टूट सा गया था।
                   

मूर्छित होकर ना जाने कितने समय वह पढ़ा रहा ना कोई राहगीर और ना कोई सुध लेने वाला,लेकिन जैसे अपने मूर्छा में भी आनंद आ रहा था,वह लेटा रहा और इतना अपने आराध्य को पुकारता रहा, रुक रुक कर उसे अपनी पत्नी की ध्यान मग्न स्थिति प्रेरित करती रहती की संपूर्ण सत्य उस ईश्वर के पास से एक अजीब सा दृढ़ संकल्प लेकर वह उठ खड़ा हुआ और और उन पहाड़ियों की ओर बढ़ चला, बर्फीले तूफान और शीतल हवाएं भी जैसे उस पर कोई असर नहीं कर पा रही थी, वह बड़े चला जा रहा था, अपनी वास्तविक स्थिति से अनजान जैसे किसी अदृश्य शक्ति के आदेश पर I
                    अंततः कुछ दिनों के सफर के बाद वह निढाल होकर गिर पड़ा, तभी जैसे किन्हीं दो लोगों ने उसे अपना हाथ पकड़कर जैसे उसमें जान फूंक दी और बड़ी तीव्र गति से उसे ले उड़े। वह आश्चर्यचकित था कि कुछ समय पहले वह एक निढ़ाल शरीर के साथ निढाल था और अब ऊंचे पहाड़ों शिखरों पर उनके साथ दौड़ कैसे रहा था, दोनों अनजान लोगों ने शरीर पर मात्र कुछ वस्त्र ही ग्रहण किए हुए थे जो इतनी ठंड में अजीबोगरीब था।
                    
  दोनों ने उसे ले जाकर एक गुफा के सामने छोड़ दिया और इशारे से अंदर जाने को कहा, वहां बहुत सारे गुफाओं के बीच किसी एक दरवाजे पर उसे छोड़ा गया था,वह उठकर कुछ समझे अंदर चला गया ,जाकर देखा भीतर बिल्कुल शांत वातावरण के बीच बहुत से लोग ध्यान मग्न हुए बैठे थे, मध्य से एक ऋषि से दिखने वाले साधु महाराज ने उन्हें अपने साथ चलने का इशारा किया और गुफा से आने वाली रोशनी की और चल पड़ा।
                  थोड़ा सा सफर करने के बाद वह आश्चर्यचकित रह गया कि अंदर एक विशाल जलाशय में पुष्पकुंज के ऊपर अनेक ऋषि अपने अलग-अलग ध्यान मग्न में बैठे थे, फिर इशारा पाकर वह एक  रास्ते की ओर चल पड़ा,जैसे ही इस ज्योति कुंज के प्रवेश द्वार पर पहुंचा, वहां ऋषि अदृश्य हो गया। अभी तक तो मानो उसके दिमाग काम करना ही बंद कर दिया था, वह किस काल्पनिक दुनिया में है तभी ज्योति कुंड में से अचानक किसी रोशनी का आभास पाकर वह आगे बढ़ा ,वह बिना कुछ जाने नतमस्तक होकर खड़ा हो गया। तभी एक चिर परिचित शांत ध्वनि जो शब्दों में कहे गए थे ,क्योंकि वहां सब कुछ जैसे बिना ध्वनि के कहा जा रहा था। सभी इसी भाषा में बात कर रहे हो। उसे इतनी दूर के सफर में पहली बार राकेश सुनने को मिला,वह खुद अपना नाम भूल सा गया था। तभी अपना नाम सुन दरवाजे से एक निद्रा सा जागा हो ,और देखा तो एक सुंदर नव युवक ने उससे कहा आ गए ,हम सभी आपका ही इंतजार कर रहे थे,
               मेरा इंतजार......राकेश ने पूछा ।
हां, बिल्कुल आपका ही इंतजार कर रहे थे, उन्होंने राकेश को एक पात्र में कुछ पीने को दिया, जिसे पीते ही राकेश मे अजीब सी स्पूर्ति आ गई। उसे सब कुछ प्रकाशमय दिखने लगा। और वहां से चकित होकर देखने लगा कि वहां आसपास अनेकों साधु-संत सूक्ष्म रूप में विद्यमान थे और उन्हीं के बीच की राकेश की पत्नी शिवांगी मुस्कुरा कर  उसकी ओर निहार रही थी।
              

तभी ऋषि प्रमुख ने राकेश से कहा, आश्चर्यचकित ना हो, यह तुम्हारी पत्नी का ही सूक्ष्म रूप है। वास्तविक शरीर तो मात्र एक माध्यम है जिसके साथ यहां जाने की अनुमति मात्र उन्हीं को मिलती है जो अत्यंत भाग्यशाली होते हैं और वह तुम हो  यह शिवांगी के अंतर्मन की एक ख्वाहिश, जिसने तुम्हें यह सौभाग्य दिलाया।
             तभी शिवांगी ने कहना प्रारंभ किया कि वह सुबह उठकर जब ध्यान करने बैठी ,उसके मन में यह विचार था कि पूर्व की तरह ही वह अपने पति के साथ ध्यान में बैठे। लेकिन किसी कारणवश वे अकेले ही ध्यान मग्न बैठ गई और ईश्वर की कृपा से वह पूर्ण रुप से ईश्वर में विलीन हो गई और यहां  परलोक आ गई। 
राकेश को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ऐसे कैसे हो गया कि वह वाकई दो दुनिया के बीच का सफर करते यहां पहुंचा है। क्या यह संभव है क्या यहां वास्तविक शिवांगी है। या कोई छल तो नहीं? अनेक सवाल उसके दिमाग में चल रहे थे, तभी उसे एक इशारा मिला और वह शांतचित्त होकर बैठ गया।
ना जाने कब कितने समय तक यूं ही बैठा रहा, बस इतना था क्या वह पूर्णरूपेण शांत चित्त हो चुका था।
              
           वह इन सबसे परे बस सिर्फ किसी अदृश्य आभा और शिवांगी की उपस्थिति का आभास कर रहा था, लंबे समय के पश्चात उसने महसूस किया कि वह पूर्ण रूप से परिवर्तित हो चुका है। ना कोई उदासीनता और है और ना ही कोई निराशा, वह अपने आप में संपूर्ण महसूस कर रहा था। तभी शिवांगी ने उन्हें मुस्कुरा कर लौट जाने का आग्रह किया और समस्त ऋषियों ने उन्हें आशीष देकर जल्द वापसी का आश्वासन देकर विदा किया।
                ऐसा लगा जैसे अब उसे किसी से मिलने बिछड़ने का कोई प्रभाव न हो। वह शांतचित्त होकर सभी को नमन कर और शिवांगी को एक मुस्कान देकर लौट जाने आदेश की पूर्ति करना चाहता है। यही सोचकर उसने जैसे ही पलट कर कुछ कदम आगे बढ़ाया। तभी आश्चर्यजनक रूप से उसने स्वयं को उसी स्थान पर पाया जहां से उसने सफर की शुरुआत की थी, क्या यह सपना था या कुछ और यह सोचकर उसने जैसे ही उठकर देखा तो ,अपने यौवन रूप को प्राप्त कर चुका था।
                 वह समझ चुका था, हिमालय की महिमा और ऋषि आदेश को मानकर वह अपने स्थान पर चला गया,इसी आशा के साथ की फिर से उसे  वे दर्शन प्राप्त हो।
       लौटकर अपने काम में पूर्ववत व्यस्त हो गया, उस दिन के इंतजार में जब उसे पुनः बुलाया जाए अपनी शिवांगी के पास, सभी आश्चर्यचकित थे, उसे इस रूप में देखकर......

            "धन्यवाद"

मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनाक्षी जी बहुत सशक्त लेखन 👌 आप मुझे फालो करके मेरी कहानी पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏

24 सितम्बर 2023

23
रचनाएँ
डायरी और कलम
0.0
अकेलापन भी दूर हो जाता है, अगर साथ में डायरी और कलम हो....
1

🪔दीपोत्सव🪔

23 अक्टूबर 2022
9
3
4

दीप चाहे जो जले उजाला होना चाहिए घर तेरा हो या मेरा दीपावली होना चाहिए तू बाँट मेरी खुशी मैं तेरे गम बाँट लु त्यौहार तो है सबका पहले मैं और क्या पहले तू तू भी है हकदार हर खुशी का तेरी भी है दि

2

बाल दिवस

14 नवम्बर 2022
2
1
0

मेरी आँखों से गुजरी जो बीते लम्हों की परछाईं न फिर रोके रुकी ये आँखें झट से भर आयीं वो बचपन गुजरा था जो घर के आंगन में लुढ़कता सा मैं भीगा करती थी जिसमें वो सावन बरसता सा याद आई मुझे माँ ने थी जों

3

नए वर्ष की शुभकामनाएं

1 जनवरी 2023
2
3
0

नए साल के स्वागत में नई खुशी नई उमंगे लाएंगे हो नया सवेरा जीवन में निराशा के अंधेरों को मिलकर दूर भगाएंगे नए ख्वाब नए अरमान ले नूतन स्वप्न सजाएंगे भूल पुरानी बातों को नव उत्सव उत्साह मनाएंगे जिंदगी

4

विश्व हिंदी दिवस

10 जनवरी 2023
0
1
0

हिंदी तु भाग्यशाली जन-जन की परिभाषा मुख वाचाल क्या नेताओं को भी तुमसे आशा संस्कृत वृहद रूप जिसे जनमानस ने अपनाया समस्त भाषाओं को समेट अपने में एक नया रूप दिखलाया क्या शास्त्र क्या उपन्यास तेरी

5

विश्व हिंदी दिवस

10 जनवरी 2023
2
1
0

हिंदी भाषा विश्व में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषाओं में से एक है। हिंदी भाषा का महत्व सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में काफी अधिक है। हिंदी भाषा भारत देश का गौरव है। भारत की राजभाषा

6

राष्ट्रीय बालिका दिवस

24 जनवरी 2023
5
1
0

दोस्तों आइये आज हम बेटियों के ऊपर चर्चा करते हैं । आज भी हमारे देश में ऐसे सोच वाले लोग है जो बेटे और बेटी में भेदभाव करते हैं , क्योकि ऐसे लोगों को लगता है कि बेटे पूरी जिंदगी हमारे साथ रहकर हमारी से

7

बिना शर्त का प्रेम

9 फरवरी 2023
5
2
1

दुर्बलता, उदासीनता और निराशा जैसे उसके जीवन का अंग बन चुका था, ना जाने क्यों इतनी प्रसिद्धि पाने के बाद जिस कारण से कुछ दिनों से जिस भी प्रोजेक्ट को अपने हाथ में लेता, उसे निराशा ही हाथ लगती है,

8

जीवन में कुछ नया

16 मार्च 2023
1
1
0

जीवन में कुछ नया नया हो तो कुछ बात अच्छी लगे पुराने ज़ख्मों पे मरहम नया लगे तो जीवन में कुछ अच्छा लगे,किसी को खाना हज़म नहीं तो किसी को रोटी न मिलेये भेद अगर मिट जाये तो जीवन में कुछ अच्छा लगे,द

9

नवरात्र

22 मार्च 2023
2
1
0

माँ एक बार फिर सेधरती पर उतरकर देखोआप देख नहीं पाओगी डरी सहमी बेटियों के चेहरेनहीं मिटा पाओगी आप भी मानस पटल पर अंकितउन बेटियों के जख्म गहरेमाँ आप उन्हें गोद में लेकरसहला लोगी थोड़ी देर बहला

10

रामनवमी

30 मार्च 2023
2
1
0

केवट की भक्ति भरी गगरीफल मीठे बेर लिए शबरी,है धन्य अयोध्या की नगरी,अवसादों में जब घिरना,न्याय नीति पर राम अड़े,संग सखा वीर हनुमान खड़े,पशु-पक्षी तक हैं युद्ध लड़े,धन्य हुआ उनका तरना,जो राम नाम रघुराई&

11

मजदूर दिवस

1 मई 2023
4
3
1

मजदूर हूं मैं मजबूर नहीं हां मैं तुमसा नशे में चूर नहीं,निर्माता तो हूं मैं इस जग का,है फक्र मुझे कुछ गुरुर नहीं ईश्वर का दिया वरदान हूं मैं, हर प्रलय परतः निर्माण हूं मैं,नल नील सा बन

12

ओडिशा ट्रेन दुर्घटना

3 जून 2023
2
1
0

किसी की आशा उम्मीदें और वह प्यार रहा होगा, रही होगी किसी की छुट्टी, जुदाईया इतवार रहा होगा, किसी को मिलन की आस होगी तो किसी को अपनों से मिलने का इंतजार रहा होगा,घर से कोई अपने

13

मातृ दिवस 🙏🏻

14 मई 2023
2
1
0

माँ, जननी, अम्मा, अम्मी, आईइन शब्दों मे पूरी दुनिया समाई अपने पराए सारे रिश्ते धोखा दे देएक मां ही है जो अपने आंचल की छांव दे।जिस दिन मैं धीमी स्वर में बात करूंपता नही मां कैसे पहचान लेते है&nbsp

14

विश्व पर्यावरण दिवस

5 जून 2023
2
2
1

वृक्षारोपण कर करे ,उत्सव की शुरुआत , पर्यावरण की सुरक्षा ,सबसे पहली बात । 🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳नदियाँ मुझसे कह रही,चुभता एक सवाल , कहाँ गया पर्यावरण, जीना हुआ मुहाल । 🌲🌲🌲🌲🌲

15

उत्सव

8 जून 2023
0
1
0

जिंदगी को कुछ इस तरह से सजाए,हर दिन नए नए उत्सव मनाए ,चलो सबको मिलकर गले से लगाए ,मधुर स्वर सरगम का साज फैलाए,हर दिन दिवाली के दीप जलाए,होली के रंगों से सबको हम रंगाए,सारे ग़म भुला कर खुशी को अपनाए ,ग

16

Father's day 💐

18 जून 2023
2
1
0

मैं अपने पापा की प्यारी सी परी हूंपापा अपने जज्बातो को आँसूओ मे बहा नहीं पाते पापा हैं न प्यार जता नहीं पाते...मेरी खुशी में खुश बहुत होते हैं लेकिन खुशी जता नहीं पाते पापा है

17

Friendship day

5 अगस्त 2023
1
1
0

अजब सी है यारी हमारी कभी होती है कड़वी तो कभी फूल से भी प्यारीज़िन्दगी के इन सालों में कुछ रिश्ते हैं ऐसे बुनेजैसे काँटों में से हमने हैं फूल चुनेयारों ने दी इस दिल को कुछ ऐसी खुशीजिसका रहेग

18

रक्षाबंधन

29 अगस्त 2023
2
2
1

यह भाई बहन का रिश्ता बडा प्यारा हैयह ना बधां होता किसी डोर से हैयह दिल से दिल का रिश्ता हैमन को उमंग से भरने का किस्सा हैना इसमें कोई छोटा बड़ा हैयह दोस्ती का एक रिश्ता हैहां इसमें नोकझोंक भी हो

19

श्री कृष्ण जन्माष्टमी

6 सितम्बर 2023
0
1
0

मिलता है सच्चा सुख केवल कृष्ण तुम्हारे चरणों में, यह विनती है पलपल छिन छिनरहे ध्यान तुम्हारे चरणों में, मिलता है सच्चा सुख केवल कृष्ण तुम्हारे चरणों में,चाहे संकट ने आ घेरा हो&nbsp

20

हिंदी दिवस

13 सितम्बर 2023
0
1
0

अपनों में अपनों से तिरस्कृत, इसी व्यथा में जीती हिंदी भाषा पुरातनों से मिली तू स्वर्ण धरोहर,छोड़ तुझे अपनाएं पीतल और कासा पाठ्यक्रमों में भी खूब पढ़ाए, अंग्रेजी जिंगल बेल पहेली&nbs

21

बेटियां

24 सितम्बर 2023
1
1
0

कभी अपने आप में शून्य नजर आती है बेटियां !कभी अपने आप को भीड़ में पाती है बेटियां!कभी किसी गिरे को संभालती है बेटियां!कभी किसी टूटी पतंग सी खुद गिर जाती है बेटियां!कभी अपने आप को बोझ सा पाती है बेटिया

22

श्री राम

22 जनवरी 2024
0
1
0

श्री राम नाम का महत्व है क्या, हर संघर्ष में राम-रामत्व है क्या,कभी अगर तुम संकट में फंस जाओ,एक बार रामचरितमानस पढ़ जाओ।श्री राम नाम रघुराई है। हमारे जीवन की यही दवाई है। सारे महामंत्र

23

वो यादगार गणतंत्र दिवस

26 जनवरी 2024
1
1
0

26 जनवरी 2013,,, हां बिल्कुल ठीक 11 वर्ष पूर्व नौकरी के शुरुआती कुछ साल काटने के बाद, संडे और पब्लिक हॉलिडे के चक्कर से ऊब चुका मेरा विद्यार्थी जीवन फिर से एक बार उन दिनों में लौट जाना चाहता था, जहां

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए