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दोहा

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🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹भक्ति बिगाड़ी कामिया,इंद्रिन् केरे स्वाद ।हीरा खोया हाथ सो,जनम गंवाया बाद !!🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹अर्थात ,*" इन्द्रियों के स्वाद में पड़कर कामी व्यक्तियों ने भक्ति को विनष्ट कर ड

माटी से बना मानुष, माटी में मिल जाय।राम नाम को लीजीए, सो जीवन तर जाय।।तिनका तिनका जोड़ के, घरौंदा लियो बनाय।कहे  कागा  मानुष  से,   क्यूं न पंख लगाय।।धीरे धीरे से चले,  क

गुरू पूर्णिमा पर विशेष- "गुरु को समर्पित दोहे" आज दिवस गुरु पूर्णिमा, मना रहे हम आप । इष्ट मंत्र का नित्य ही, करिए मन से जाप ।।             

*हिंदी दोहा बिषम-धुन**1*उनकी धुन #राना नमन, जिनके अद्भुत काम |उनमें से  ही  एक थे  , जिनका   नाम कलाम ||*2*भगतसिंह- आजाद का  ,#राना  है    सम्मान

*हिंदी दोहे- बिषय- मंत्र*                  *1*मूल मंत्र #राना रखो , विद्या विनय विवेक |बाधाएँ  सब  दूर  हों ,मिले  सफलता नेक ||  &

मुश्किलों के सदा हल हो ऐ जिंदगी।थके न फुर्सत के पल दे ऐ जिंदगी।।दुआ है कि सबका सुखद आज दे ऐ जिंदगी।आज सुखद है तो आने वाला कल भी दे ऐ जिंदगी।।इत्तेफाक से सबके रंग देखे हमने ऐ जिंदगी।चेहरे भी बदले हुए द

अच्छी भूमिका और अच्छे लक्ष्य।यही तो हमारे जीवन का उद्देश्य।।मुस्कराने की वजह जरूरी नहीं।बात बात पर मुस्कुराना ठीक नहीं।।मुलाकात की भूमिका भले ही न हो।हमसे जरूरी नहीं कि मुलाकात ही हो।।दिल में वही वही

ये देश हमारी जान है, ईमान है।आन बान और शान है, अभिमान है।।स्वभाव है इसके अलग- अलग, शान है।हमें वतन पे मर मिटना है, अभिमान है।।तरह तरह के फूल खिले हैं, चमन एक है।अनेकता में एकता सिखाता, भाषाएं अनेक है।

शक से बड़ा न दुश्मन कोई।मन व्यथित और चिंतन होई।।करहु कृपा हे नाथु दयाला।रिद्धि सिद्धि हे कृपा निहाला।।खुश मन हार हम मानत नाही।चिंता चिता समान हम डरपत नाही।।पांव परो कर हम जोरी मनाओं।फिर तुम अब काही घब

ऐसी करनी कीजिए, जासे ना कोई रोए। जीते जी सुख मिले, भव से पार होए।। पढ़त पढ़त किताबों को, रट्टा लियो लगाए। देख एग्जाम में पेपर को, सिर गया चकराए।। पाप कमाई करके, रटता नाम हरि का। गलत आचरण ना करो,

                      💐😊मसकरी😊💐                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)    &

*बुंदेली दोहा बिषय- गुदना*गुदनारी गुदना गुदे,गोरी के ही गाल।गोला गरे बना रई,गोरी भई गुलाल।।***16-5-2022*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*           संपादक- "आकांक्षा"

विश्व मजदूर दिवस पर विशेष दोहे-*बिषय-मजदूर**1*बनते जो मजदूर है,वे कितने  मजबूर ।सबकुछ अपना  छोड़ के, घर से बेहद  दूर ।।*****2*मिले मजूरी जब उसे, तब रोटी बन पाय। जिस दिन&n

बिना दिखाई दिए भी हर जगह दिखाई देती है वो..बिना बताए भी हर हाल जान लेती है वो..कुछ तो बात है उनकी इबादत में कि..बिन मांगे भी हर दुआ कबूल कर देती है वो..खुद रोकर भी मुझे ख़ुशी द

अफसानाअफसाना बनाकर मेरे ख्यालो कावो हर रात महफ़िल सजाते रहे    दोस्तो के बीच  ऊँचाई दिखाने के लिये    हमारे ख्यालों को गिराते रहें ।कहते हर जज्बात थे उनसे हमजिनका वो अफसाना बना

        कृतजुग त्रेताँ द्वापर पूजा मख अरु जोग।जो गति होइ सो कलि हरि नाम ते पावहिं लोग॥भावार्थ:-सत्ययुग, त्रेता और द्वापर में जो गति पूजा, यज्ञ और योग से प्राप्त होती है, वही गति कल

यू ही नहीं मिलता कोई लाखो  करोड़ों की भीड़ में कितने जन्मों से तरसा होगा वो भी  कितने पल मरा होगाजब जाके कही मिला होगा यूंही अनजान राही बन तब कही छिपा होगा ऐसा वो रह

खोल पंख अपने उड़ती आकाश में होचली उड़ती चली कह सी चली होकुछ चुलबुली सी कुछ मनचली सी ऐसी तितली चली हो ।रंग बिरंगे पंख पसारे ले चली वो हवा के सहारेऐसी लहराती बलखातीकभी गिरी कभी संभलती चली

*हिंदी दोहा बिषय- दृष्टि**1*दिव्य दृष्टि से देखिए, दिखे दिव्य दरबार।दवा, दुआ औ दान से,देव करे उद्धार।।****2*सहनशक्ति बिल्कुल नहीं,कैसे हो उद्धार।।थोड़ा सा भी दुख हुआ,पंहुते देवी द्वार।।****3*प्रक

बिषय -खुशियाली*

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खुशयाली आती रहे,

करो ईश का ध्यान।।

तन,मन से होग

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