ज़िंदगी भीख में नहीं मिलती, ज़िंदगी बढ़ के छीनी जाती है "रंजन",
कायरों का जीना भी कोई जीना है सिर्फ कुछ दिन गिनी जाती !!
18 जुलाई 2020
ज़िंदगी भीख में नहीं मिलती, ज़िंदगी बढ़ के छीनी जाती है "रंजन",
कायरों का जीना भी कोई जीना है सिर्फ कुछ दिन गिनी जाती !!
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मैं एक कवि हूँ. मैं हिंदी कविता, ग़ज़ल एवंग शायरी रचना करता हूँ. बंगाली में सिर्फ गाना लिखता हूँ. मैंने मिर्ज़ा ग़ालिब के ग़ज़लों का इंग्लिश में अनुवाद किया है. मेरा दो वेबसाईट्स है.
https://ghazalsofghalib.com
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