कभी मुहब्बत-ओ-वफ़ा इस तरफ,कभी अदावत-ओ-ज़फ़ा उस तरफ,
'रंजन' को मकीं का पता तो बता दो,कैसे कैसे किरायेदार है I
12 अगस्त 2019
कभी मुहब्बत-ओ-वफ़ा इस तरफ,कभी अदावत-ओ-ज़फ़ा उस तरफ,
'रंजन' को मकीं का पता तो बता दो,कैसे कैसे किरायेदार है I
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मैं एक कवि हूँ. मैं हिंदी कविता, ग़ज़ल एवंग शायरी रचना करता हूँ. बंगाली में सिर्फ गाना लिखता हूँ. मैंने मिर्ज़ा ग़ालिब के ग़ज़लों का इंग्लिश में अनुवाद किया है. मेरा दो वेबसाईट्स है.
https://ghazalsofghalib.com
https://sahityasangeet.com
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