"रंजन" का सामान था एक चराग ,एक किताब और उम्मीद , जब वो भी लूट लिया असहाब ने तभी तो एक अफसाना बना !
27 मार्च 2021
"रंजन" का सामान था एक चराग ,एक किताब और उम्मीद , जब वो भी लूट लिया असहाब ने तभी तो एक अफसाना बना !
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मैं एक कवि हूँ. मैं हिंदी कविता, ग़ज़ल एवंग शायरी रचना करता हूँ. बंगाली में सिर्फ गाना लिखता हूँ. मैंने मिर्ज़ा ग़ालिब के ग़ज़लों का इंग्लिश में अनुवाद किया है. मेरा दो वेबसाईट्स है.
https://ghazalsofghalib.com
https://sahityasangeet.com
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