वो हक़ीक़तों का सहर,वो ख्वाबों के शब् सब हवा ही रह गए,
"रंजन" वो तुम न रहे मगर हम,फ़क़त हम ही रह गए वाये !
12 अगस्त 2016
वो हक़ीक़तों का सहर,वो ख्वाबों के शब् सब हवा ही रह गए,
"रंजन" वो तुम न रहे मगर हम,फ़क़त हम ही रह गए वाये !
11 फ़ॉलोअर्स
मैं एक कवि हूँ. मैं हिंदी कविता, ग़ज़ल एवंग शायरी रचना करता हूँ. बंगाली में सिर्फ गाना लिखता हूँ. मैंने मिर्ज़ा ग़ालिब के ग़ज़लों का इंग्लिश में अनुवाद किया है. मेरा दो वेबसाईट्स है.
https://ghazalsofghalib.com
https://sahityasangeet.com
,
,D