सफर के वक़्त सामान कम करता चला गया ,
वजन ढोने से और थकान से बचता चला गया ,
ज़िन्दगी में अपना कौन है ये तो पता चले "रंजन" ,
इसीलिए दोस्तों का सामान लौटाता चला गया !!
https://ghazalsofghalib.com
https://sahityasangeet.com
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1 दिसम्बर 2021
सफर के वक़्त सामान कम करता चला गया ,
वजन ढोने से और थकान से बचता चला गया ,
ज़िन्दगी में अपना कौन है ये तो पता चले "रंजन" ,
इसीलिए दोस्तों का सामान लौटाता चला गया !!
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मैं एक कवि हूँ. मैं हिंदी कविता, ग़ज़ल एवंग शायरी रचना करता हूँ. बंगाली में सिर्फ गाना लिखता हूँ. मैंने मिर्ज़ा ग़ालिब के ग़ज़लों का इंग्लिश में अनुवाद किया है. मेरा दो वेबसाईट्स है.
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,DBahut accha likha aapne 👌
1 दिसम्बर 2021
होठों पे ग़ज़ल आँखों में पानी , "रंजन" का बस यही कहानी।। धन्यबाद काव्या जी। नमस्कार।