हर ग़म ही रहा हर दम में मेरे, हर ग़म पे मेरा हर दम निकला , "रंजन" हर दम की ये खू तेरे कूचे की हर दम ही मेरा हर दम निकला।
25 मार्च 2021
हर ग़म ही रहा हर दम में मेरे, हर ग़म पे मेरा हर दम निकला , "रंजन" हर दम की ये खू तेरे कूचे की हर दम ही मेरा हर दम निकला।
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मैं एक कवि हूँ. मैं हिंदी कविता, ग़ज़ल एवंग शायरी रचना करता हूँ. बंगाली में सिर्फ गाना लिखता हूँ. मैंने मिर्ज़ा ग़ालिब के ग़ज़लों का इंग्लिश में अनुवाद किया है. मेरा दो वेबसाईट्स है.
https://ghazalsofghalib.com
https://sahityasangeet.com
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,Dये अंतिम भाग कुछ समझ नहीं आया " मेरा हर दम निकला।" वीरेन्द्र
5 जुलाई 2021