वीराने में टूटे हुए मंदिर और मस्जिद को देखा तो ख्याल आया ,
"रंजन" अकेले ही तनहा और मुफ़लिस नहीं है इस ज़हाँ में।।
9 नवम्बर 2021
वीराने में टूटे हुए मंदिर और मस्जिद को देखा तो ख्याल आया ,
"रंजन" अकेले ही तनहा और मुफ़लिस नहीं है इस ज़हाँ में।।
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मैं एक कवि हूँ. मैं हिंदी कविता, ग़ज़ल एवंग शायरी रचना करता हूँ. बंगाली में सिर्फ गाना लिखता हूँ. मैंने मिर्ज़ा ग़ालिब के ग़ज़लों का इंग्लिश में अनुवाद किया है. मेरा दो वेबसाईट्स है.
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