ताकि अब कभी भी न मुलाकात मुमकिन हो "रंजन ",
मुझे जब ज़मीदोज़ देखा , वो ग़र्क़-ऐ-दरिया हो गए !! #jahararanjan
16 अप्रैल 2019
ताकि अब कभी भी न मुलाकात मुमकिन हो "रंजन ",
मुझे जब ज़मीदोज़ देखा , वो ग़र्क़-ऐ-दरिया हो गए !! #jahararanjan
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मैं एक कवि हूँ. मैं हिंदी कविता, ग़ज़ल एवंग शायरी रचना करता हूँ. बंगाली में सिर्फ गाना लिखता हूँ. मैंने मिर्ज़ा ग़ालिब के ग़ज़लों का इंग्लिश में अनुवाद किया है. मेरा दो वेबसाईट्स है.
https://ghazalsofghalib.com
https://sahityasangeet.com
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