मैं कौन हूँ ? भाग - 2
तो दोस्तों, अब तक आप सबने पढ़ा, कि एक तूफानी बरसात की रात में एक लड़का ऊपर पर्वत से निचे गिरता है और समंदर के किनारे तक पहुँच जाता है। एक मछुआरा अपनी नाँव में समंदर किनारे जाते हुए, उसे देखता है और उसे इलाज के लिए अपनी नाँव में ले जाता है और गाँव के वैदजी जी उसकी देखभाल करते है, अब आगे...
तीन दिन बाद आज जाके उस बरसाती रात का तूफ़ान थम गया हो । बहुत बड़ा तूफ़ान आके चले जाने के बाद की सुबह जैसे, " परबत जिसे कभी कोई हिला भी नहीं सकता था, वो भी इस बार बरसाती तूफ़ान से डर रहा था, कि कही आज मुझे ये तूफ़ान अपने संग ना ले जाए, तूफ़ान के शांत होने के बाद वो भी आज अपने पे इतरा रहा है, कि देखो, " तूफ़ान भी मेरा कुछ बिगाड़ नहीं पाया," झील से बहता पानी भी शांत होने लगा है, समंदर की लहरों से वो डरावनी आवाज़ आनी बंद हो गइ है, धरती और आसमान के बिच चल रहा युद्ध जैसे थम सा गया हो, पेड़ के पत्ते मुस्कुरा के हवाओं में लहराने लगे, पंछीओ का घोंसला जो बरसाती तूफ़ान के आने से टूट गया था, वो भी उसे फिर से नया बनाने में जुड़ गए है, और आसमान में पहले की तरह बेफिक्र होकर उड़ने लगे है, सूरज की किरणें धरती पर पड रही है और आसमान में मेघधनुष बनता दिखाई दे रहा है, बादल भी आसमान को गले लगाने के लिए घूमने लगे है, बड़ा ही मन मोह लेनेवाला दृश्य दिखाई दे रहा है। "
गाँव के लोग जिनका सब कुछ बिखर गया था, वो सब समेट ने में लगे हुए थे। किसी की नाव डुब गइ थी, तो किसी की झोपड़ी, किसी का खेत पानी से भर गया था, तो किसी की गैया और बकरियाँ डूबते-डूबते बची थी, किसी का घर टुटा तो किसी का सपना। फिर से सब साथ मिल के जोड़ने में लगे हुए थे, घर की औरतें और बच्चे घर सँभालने में लगी हुई थी तो घर के मर्द अपने बेल लेकर खेत जाने लगे, बाकि मर्द भी अपने-अपने काम पे निकलने लगे, अब फिर से नई शुरुआत जो करनी थी !
( वैदजी ने उस लड़के का इलाज जारी रखा था, उस तरफ़ उस मछुआरे ने भी सोचा एक बार वैद जी के यहाँ जाके उस लड़के को देख आता हूँ। )
मछुआरा : ( वैदजी के घर जाता है, वहाँ जाके उसने देखा की वैदजी फिर से उस लड़के के सिर की पट्टी नई बना रहे है,) वैदजी, लड़के को होश आया की नहीं ?
वैदजी : नहीं भाई, अब तक तो होश नहीं आया, मैंने अपने हिसाब से अच्छे से अच्छी औषधि इसको दी है, मगर इस में कोई सुधार नज़र नहीं आ रहा है, हा.... लेकिन इसका खून बहना बंद हो चूका है, ये अच्छी बात है, शाम तक तो इसे होंश आ ही जाना चाहिए।
मछुआरा : हा वैदजी, अगर आप इसका अच्छे से अच्छा इलाज कर ही रहे है, तो शाम तक इसे होंश आ ही जाएगा। अच्छा तो मैं अब चलता हूँ, शाम को घर जाते वक़्त फिर से एक बार आ जाऊँगा। कुछ और औषधि मंगवानी हो तो बता दीजिएगा, मैं ला दूँगा।
वैदजी : हाँ, ठीक है तुम चलो, अगर कुछ ज़रूरत पड़ी तो बता दूँगा।
(मछुआरा अपने काम पे निकलता है और वैदजी लड़के का इलाज कर रहे है। देखते ही देखते शाम होने लगी। वैदजी मछुआरे का इंतज़ार कर रहे थे, उसे आने में थोड़ी ज़्यादा ही देर हो गई। मछुआरे को देखते ही ) कहाँ था अब तक ? आने में इतनी देर क्यों लगादी तुमने ? मैं कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ।
मछुआरा : मैं कुछ काम में उलझ गया था, इसलिए मुझे आने में ज़रा देर हो गई, आप इतने गभराऐ से क्यों लग रहे हो, मैं आ गया हूँ, बताइए क्या काम है ?
वैदजी : इस लड़के की हालत में तो कुछ सुधार नहीं है, इसकी हालत तो और ज़्यादा बिगड़ रही है, मुझे बड़ी चिंता सताए जा रही है, मुझे लगता है, कि इसे पास वाले गाँव के अस्पताल ले जाना चाहिए, वहाँ अच्छे से अच्छे डॉक्टर आते है, मेरी जान पहचान भी है वहांँ, तो हम इसे वहांँ ले जाते है, अस्पताल में अंग्रेजी डॉक्टर की दवाई से शायद जल्दी ठीक हो जाए।
मछुआरा : जैसा आपको ठीक लगे वैदजी। कल सुबह मैं जल्दी आ जाऊँगा। मेरी नाँव में ही इसको लेकर पास वाले गाँव के अस्पताल चले जाएँगे।
वैदजी : कल सुबह तक तो बहुत देर हो जाएगी, मुझे नहीं लगता हमें कल तक का इंतज़ार करना चाहिए। हमें इसे लेकर अभी निकलना होगा।
मछुआरा : रात को समन्दर में नाव लेकर जाना इतना भी ठीक नहीं रहेगा, मगर कोई बात नहीं, मैं संँभाल लूँगा, मेरे दोस्त को भी साथ ले लेता हूँ और श्यामलाल को अपने घर भेज के अपने बच्चों को केहलवा देता हूँ, की मैं एक दिन बाद ही घर आऊँगा, तो वो बच्चो को सँभाल भी लेगा।
वैदजी : जैसा तुम्हे ठीक लगे, मगर ज़रा जल्दी करना, जितना जल्दी हो उतना जल्दी हमें यहाँ से निकलना होगा।
मछुआरा : आप फ़िक्र मत कीजिए, मैं अभी जाके आता हूँ।
( उतनी देर में वैदजी अस्पताल जाने की तैयारी कर लेते है, और मछुआरे के साथ रात को ही लड़के को लेकर दूसरे गाँव के अस्पताल जाने को निकल पड़ते है।)
आगे क्रमशः।
Bela...
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