मैं कौन हूँ ? भाग - 7
तो दोस्तों, अब तक आप सबने पढ़ा, कि अनाम को होश आते ही, उसे अपना कोई होश नहीं रहता और उसने सुबह से पुरे अस्पताल में जैसे उधम मचा के रखा था, अपने कमरे में सारी चीज़े तोड़ देता है और अस्पताल से भाग जाने की भी कोशिश करता है। ऐसे में डॉ.सुमन अस्पताल आकर उसे सँभालती है और अनाम को उसके बारे में सब बता देती है, अब आगे...
डॉ.सुमन फिर से अपनी डायरी निकालकर लिखने लगती है। थोड़ी ही देर में डॉ.सुमन पे डॉ.प्रभाकर का फ़ोन आता है।
डॉ.सुमन : हेल्लो, डॉ.प्रभाकर कैसे है आप ? मैं आपको आज फ़ोन करने ही वाली थी, की देखो आप का ही फ़ोन सामने से आ गया।
डॉ.प्रभाकर : आप हमें याद करे और हम आपको याद ना करे ऐसा कभी हो सकता है क्या ? ( हस्ते हुए ) मगर पहले आप ये बताइए की आज अचानक आपने हम को याद कैसे किया ? जहाँ तक मुझे पता है की बिना वजह आप किसी को याद नहीं करती है और आप हर वक़्त अपनी नॉवेल और अपने मरीज़ में उलझी रहती हो। क्यों सही कहा ना मैंने ?
डॉ.सुमन : हम्म... कुछ हद तक सही। और हां, मुझे आपको ये बताना था की अनाम को होंश आ गया है।
डॉ.प्रभाकर : अरे वाह, ये तो बड़ी अच्छी खबर सुनाई आपने ! हमारा ऑपरेशन सफल रहा, मैंने आपसे कहा था ना की उसे होंश आ ही जाएगा। ओर बताओ, अब वह कैसा है ? कुछ बताया क्या उसने अपने बारे में ?
डॉ.सुमन : हम्म... यही तो एक प्रॉब्लम है। उसे कुछ याद नहीं आ रहा।
डॉसुमन डॉ. प्रभाकर को अनाम के बारे में सब बताती है।
डॉ.प्रभाकर : हम्म.. बहुत बुरा हुआ, बेचारे के साथ। लेकिन अच्छा किया आपने उसे सब सच-सच बता दिया तो, कम से कम उसे पता तो चलना चाहिए की उसके साथ क्या हुआ है ? मेरे मुताबिक वक़्त रहते शायद उसे अपने बारे में सब कुछ याद आ ही जाएगा और वह अपनी ज़िंदगी नए सिरे से शुरु करने की कोशिश भी करेगा।
डॉ.सुमन : हाँ, ऐसा ही हो तो अच्छा है। अच्छा चलो, अब में फ़ोन रखती हूँ। मुझे दूसरे मरीज़ को भी देखने जाना है।
डॉ.प्रभाकर : ओ.के, डॉ.सुमन by and take care.
कहते हुए डॉ.प्रभाकर फ़ोन रख देते है। उसके बाद डॉ.सुमन ने जिसके पैरो का ऑपरेशन किया था, उसे देखने जाती है। मीरा के कमरे में जाते हुए
डॉ.सुमन : अब कैसा लग रहा है आपको मीरा ?
मीरा : जी डॉ.सुमन, पहले से काफी अच्छा लग रहा है, अब तो मैं घर जा सकती हूँ ना ?
डॉ.सुमन : हां हां, क्यों नहीं ? मगर घर जाके भी आपको कुछ दिनों तक थोड़ा आराम करना पड़ेगा और दवाइयाँ और कसरत चालू रखनी पड़ेगी। तभी आप जल्दी से ठीक होके पहले की तरह चल फिर पाएगी।
मीरा : जी ज़रूर, डॉ.सुमन।
डॉ.सुमन नर्स को मीरा के dischagre के बारे में बता कर वहाँ से चली जाती है। डॉ.सुमन अनाम के कमरे के पास से गुज़र रही थी, उसने धीरे से अनाम के आधे खुले दरवाज़े से अंदर देखा, तो अनाम खिड़की के पास कुर्सी पे बैठ के बाहर एक नज़र से देखे जा रहा था। डॉ. सुमन ने सोचा, कि अनाम के लिए आज अकेले रहना ही ठीक होगा। उसे अपनी ज़िंदगी में क्या करना है और क्या नहीं ? इसका फैसला उसे खुद करना होगा। सोचते हुए डॉ.सुमन वहांँ से अपने कंसल्टिंग रूम में चली जाती है, पानी पीकर अपनी डायरी में फिर से कुछ लिखने लगती है, रामु से अपने लिए एक कप कॉफी भी मंगवा लेती है, फिर लिखते-लिखते उसे वक़्त का पता ही नहीं चलता। ऐसे में उसके पापा का फ़ोन आता है, डॉ.सुमन फ़ोन उठाती है,
पापा : क्यों डॉ.सुमन आज घर आने का इरादा है की नहीं ? की वही अस्पताल में ही सो जाओगी ? ( हस्ते हुए )
डॉ.सुमन : आप भी क्या पापा ! ( डॉ.सुमन हस्ते हुए ) अभी आति हूँ। वह कुछ काम में उलझ गइ थी, जब तक मैं आति हूँ, आप खाना खा लीजिएगा। फिर आराम से बैठ के बातेंं करेंगें। मुझे आज ज़्यादा भूख नहीं है, तो मीना से कहिएगा, कि मेरे लिए सिर्फ मिल्क शेक बना के रखे मैं आके पी लूँगी।
पापा : ओ.के बेटा, मीना को बोल दूंगा, कि तेरे लिए मिल्क शेक बना के रखे और तुम्हारे आने तक शायद मैं आज जल्दी सो जाऊ, क्योंकि मेरी कमर में फिर से थोड़ा दर्द है, तो मैं अपनी दवाई लेकर आराम कर लेता हूँ। शायद नींद आने पे सो भी जाऊ। तो बातें कल करेंगे। मगर तुम घर जल्दी चली आना। ठीक है बेटा ?
डॉ.सुमन : हांँ, मगर आप अपनी दवाई ठीक से ले लेना, भूल मत जाना।
कहते हुए डॉ. सुमन फ़ोन रख देती है। अपनी डायरी बंध कर डॉ. सुमन घर के लिए निकलती है, जाते-जाते वह नर्स और रामु को अनाम का ख्याल रखने को कह कर चली जाती है।
घर जाकर देखा, कि पापा सो गए है, इसलिए उसे परेशानी नहीं हो इसलिए वह चुपके से फ्रीज में रखा हुआ मिल्क शेक लेके अपने कमरे में चली जाती है। डॉ.सुमन को आज लगा की अनाम को सब कुछ सच-सच बता कर शायद उस ने कोई गलत तो नहीं कि ? अब उसका सामना करने में मुझे परेशानी नहीं होगी और अब वो मुझ से ज़्यादा सवाल भी नहीं करेगा। ये सोचते-सोचते डॉ.सुमन फ्रेश होकर अपना मिल्क शेक पी कर आराम से सो जाती है।
उस तरफ अनाम अपने दिमाग पर ज़ोर लगाकर अपने आप के बारे में याद करने की कोशिश कर रहा था। वह आइने के सामने जाकर अपने आप को देखे जा रहा था, जब उसे कुछ याद ही नहीं आ रहा था, तब डॉ. सुमन की कही बाते याद आने पर उस ने वह आईना निकालकर कमरे में उल्टा रख दिया। फिर अपने बिस्तर पे सोने की कोशिश में लगा। मगर अब उसे नींद कहा, पूरी रात करवटे बदलता रहा, इधर से उधर तो उधर से इधर।
डॉ.सुमन को रात को अच्छी नींद आने की वजह से, वह आज सुबह जल्दी ही जग गई थी, अंगड़ाइयाँ लेते-लेते वह खिड़की से बाहर देख के सोचती थी, कितनी खूबसूरत होती है सुबह, जो हर रोज़ एक नई आशा की किरण लेकर आती है और सब के मन में भी कुछ कर दिखाने की उम्मीद जगा देती है और मुझे भी उम्मीद है की अस्पताल में अनाम ने, कल की तरह आज भी कोई उधम नहीं मचाया हो।
सोचते हुए डॉ.सुमन अपने सिर पे तपली मारकर खड़ी होती है और फ्रेश होने जाती है। फ्रेश होके डॉ. सुमन अपना पर्स और सफ़ेद कोट लेकर नीचे ड्राइंग रूम में डाइनिंग टेबल पे जाती है। मीना किचन में नास्ता बना रही थी, पर पापा कहीं दिखें नहीं, तो
डॉ.सुमन : ने मीना से पूछा की पापा कहा है ?
मीना : जी दीदी, साहब, तो सवेरे-सवेरे उनके दोस्त का फ़ोन आया था तो वॉक पे निकल गए है और बता के गए है, कि आप उनका नास्ते पे इंतज़ार ना करे, वॉक के बाद वह अपने दोस्त के साथ उनके घर जानेवाले है और वहांँ उनके दोस्त के साथ नास्ता कर लेंगे। पूरा दिन वही रहनेवाले है, वहांँ दोस्तों ने मिलके कुछ सरप्राइज पार्टी रखी है, रात को ही घर आएंगे। कुछ काम हो तो फ़ोन कर लीजिएगा उनको। ऐसा आपको बताने को बोला है।
डॉ.सुमन : ओह्ह्ह, तो ये बात है, चलो अच्छा ही तो है, वैसे भी रिटायर होने के बाद वह घर पे बोर हो जाते है। दोस्तों के साथ रहेंगे तो उनको अच्छा लगेगा। अच्छा चलो बताओ, आज नास्ते में क्या बनाया है ? अब तो बड़ी भूख लगी है।
मीना : जी दीदी, कल साहब ने इडली बनाने को बोला था, तो इडली चटनी बनाई है, साहब भी थोड़ा नास्ता अपने दोस्तों के लिए पैक कर के लेके गए है।
डॉ.सुमन : अच्छा चलो, जो भी बनाया हो दे दो, मुझे जाने में देरी हो रही है। बाते बहुत हो चुकी।
डॉ.सुमन मन ही मन, मीना भी ना एक सवाल पूछो तो चार जवाब दे देती है, डॉ.सुमन नास्ता करके अस्पताल निकल जाती है। अस्पताल पहुँचते ही
तो दोस्तों, आपने देखा होगा, कि डॉ.सुमन की ज़िंदगी घर से अस्पताल और अस्पताल से घर के बिच ही है, डॉ.सुमन ने अपने लिए या अपने बारे में कभी कुछ नहीं सोचा। हर वक़्त दूसरों के बारे में ही सोचती है, बस ऐसी ही है हमारी डॉ. सुमन !!
अब आगे क्रमशः।
Bela...