साधना के जगत में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण अगर कोई बात है है तो वो है " संग "। हम कितना भी भजन कर लें, ध्यान कर लें लेकिन हमारा संग अगर गलत है सुना हुआ, पढ़ा हुआ, और जाना हुआ तत्व आचरण में नहीं उतर पायेगा।
आपको धनवान होना है तो धनी लोगों का संग करो, राजनीति में जाना है तो राजनैतिक लोगों का संग करो। पर अगर रसिक बनना है, भक्त बनना है तो संतों का और वैष्णवों का संग जरूर करना पड़ेगा।
दुर्जन की एक क्षण की संगति भी बड़ी खतरनाक होती है। वृत्ति और प्रवृत्ति तो संत संगति से ही सुधरती है। संग का ही प्रभाव था लूटपाट करने वाले रामायण लिखने वाले वाल्मीकि बन गए। थोड़े से बुद्ध के संग ने अंगुलिमाल का ह्रदय परिवर्तन कर दिया। महापुरुषों के संग से व्यवहार सुधरता है।