मनुष्य को *परछाई* और *आइने* की तरह ही *दोस्त* बनाने चाहिए ,
क्योंकि *परछाई* कभी भी साथ नहीँ छोड़ती और *आइना* कभी झूँठ नहीँ बोलता,,,,!!!
*चंदन* से *वंदन* ज्यादा *शीतल* होता है,
*योगी* होने के बजाय *उपयोगी* होना ज्यादा *अच्छा* है,
*प्रभाव* अच्छा होने के बजाय *स्वभाव* अच्छा होना ज्यादा जरुरी है,,,,,!!!!
*समय, विश्वास,और सम्मान* यह एसे *पक्षी* हैं,
जो *उड* जाये तो वापस नहीँ आते,,,,!!!
*जिन्दगी* में हमेशा सबकी *कमी* बनो, *जरुरत* नहीँ ,
क्योंकि *जरुरते* तो हर कोई पूरा कर सकता है,पर किसी की *कमी* नहीँ,,,,,!!!
पहले *कहना* और बाद में करना इसकी *अपेक्षा* पहले करना और फिर *कहना* अधिक *श्रेयस्कर* है,,,!!!
यदि लगता है कि आप *अकेले* हैं तो,सबसे पहले *आकाश* की तरफ देखें,
पूरा *ब्रह्माण्ड* आपका साथ देने के लिये *तैयार* खडा है,
सिर्फ आपको *मेहनत* करने की जरुरत पडती है,,,,!!
*डा अब्दुल कलाम*
*करीब* इतना रहो कि *रिश्तों* मेँ *स्नेह* रहे,
*दूर* भी इतना ही रहो कि,आने का *इन्तजार* रहे,
रखें *उम्मीद* रिश्तों के *दरमियान* इतनी कि,
*टूट* जाये *उम्मीद* मगर *रिश्ते* बकरार रहें,,,!!
*नहीँ* और *हाँ* यह दो
छोटे **शब्द* है,लकिन इनके लिए बहुत *सोचना* पडता है ,
हम *जिन्दगी* में बहुत सी *चीजें* खो देते हैं ,
*नहीं* जल्दबादी में बोलने पर और *हाँ* देर से बोलने पर,,,,!!!