"प्रशंसा" से "पिघलना" मत,
"आलोचना" से "उबलना" मत,
निस्वार्थ भाव से कर्म कर
क्योंकि इस "धरा" का, इस "धरा" पर,
सब "धरा रह जाऐगा
"मनुष्य कितना भी गोरा क्यों ना हो
परंतु उसकी परछाई सदैव काली होती है !
"मैं सर्वश्रेष्ठ हूँ" यह आत्मविश्वास है
लेकिन
"सिर्फ मैं ही (सर्वश्रेष्ठ हूँ" यह अहंकार है..
अहंकार से जिनका, मन मैला है
*करोड़ों की भीड़ में भी, वह अकेला है !*