दोस्तों आज आरक्षण और जातिवाद समाज का अहम मुद्दा है , इन दोनों का ही राजनीती में जम के उपयोग किया जाता है | कोई जातिवाद के नाम पे वोट मांगता है तो कोई आरक्षण के नाम पर , और हम इस लालच में आकर उन्हें वोट दे देते हैं |
- पर ये कहाँ तक सही है ?
- क्या अब जातिवाद ख़त्म नहीं होना चाहिए ?
- क्या ये राजनेता हम गरीबों को आरक्षण के नाम से ठगते नहीं है ?
- आखिर कब ये देश सिर्फ एक नज़रों से देखा जायेगा , कब तक हम जातिवाद और आरक्षण के नाम से वोट देते रहेंगे ?
मुझे आप लोगो की प्रतिक्रियाओं का इन्तजार रहेगा ...