22 दिसम्बर 2015
<p>इसमें दोषी कौन है</p><p>आज दलगत राजनीति के चलते शिक्षा के साथ खिलवाड़ हो रहा है </p><p>बबच्चों को </p>
27 दिसम्बर 2015
<p>हम अपनी सभ्यता को भूल नहीं रहे </p><p>वास्तव में हम उसको जान नहीं पा रहे हैं अथवा उसको जानना नहीं चाह रहे हैं </p><p>बच्चों की पुस्तकों तक में भारत की संस्कृति को दर्शाया नहीं जाता अथवा अनुचित रूप में प्रस्तुत किया जाता है </p><p>इस<span style="line-height: 1.42857;"> प्रकार बताया जाता है जैसी संस्कृति अवैज्ञानिक हो और आज के समय में उसका कोई औचित्य ही नहीं रहा गया हो </span></p><p><span style="line-height: 1.42857;">जिसके फलस्वरूप लोग संस्कृति की बात करने में भी लज्जा महसूस करते हैं </span></p><p><span style="line-height: 1.42857;"><span style="line-height: 1.42857;"><span style="line-height: 1.42857;"><span style="line-height: 1.42857;"><br></span></span>अतः यह आवश्यक है की अपनी वैज्ञानिक संस्कृति को पहले स्वयं भली-भांति समझें उसमें भरोसा रखें और फिर उसे अच्छे से समझने के बाद अन्य लोगों को भी समझाएं व भ्रांतियां दूर करें </span></span></p><p><span style="line-height: 1.42857;"><span style="line-height: 1.42857;"><span style="line-height: 1.42857;"><span style="line-height: 1.42857;"><span style="line-height: 1.42857;"><span style="line-height: 1.42857;"><span style="line-height: 1.42857;"><span style="line-height: 1.42857;"><br></span></span></span></span>आपका का क्या विचार है?<br></span></span><br></span><br></span></p>
23 दिसम्बर 2015
हमारा भारत पुरे विश्व मैं अपनी संस्कृति और सभ्यता के लिए जाना जाता है अपनों का मान सम्मान , एकता , माता - पिता का सम्मान ,छोटे बड़ो का आदर , हमारे रीती रिवाज , वरत् , तिज् त्यौहार , और भी बहुत कुछ जिसने हमारी पहचान पुरे विश्व मैं एक अलग मुकाम पर है बहुत से विदेशी सेलनि , साहित्यकार , लेखक , और भी कईं महान लोग जो बरसों से हमारे देश मैं डेरा जमाये रहते हैं हमारी संस्कृति व सभ्यता को जानने के लिय .... पर वर्तमान युग मैं जो आज की इस्तथि है उसके अनुसार हमारे देश की छ्बि धुमित् हो रही है आज हमारे देश मैं कई ऐसे शर्म सार वाले काम हो rhe है । हम रोज ऐसे किस्से सुन रहे है जिसने इंसानियत के सारी हदेन् पार कर दी हैं महिलाओं के साथ दुर्वय्ह्वर् हो rha है , कहीं कहीं तो झूटी परम्परा के लिए इंसान ko मारा ja रहा है ... ab कहाँ गयी हमारी सब्यता व संस्कृति ये सिर्फ कागजि किताबों मैं रह गयी है , आज हम आधुनिक दिखवे मैं कहीं खोते जा रहें हैं और अपनी सभ्यता को छोड़ कर दूसरी सब्यता के पीछे भाग rhe हैं ..…् आज भी मौका है हमे इसे बचाने का .. हम सभी को अपने आने वाली पीढ़ी को आस्चे संस्कार देने होंगे ताकि हमारी सन्स्क्रुतिक् सभ्यता बनी रहे ....! धन्यवाद
23 दिसम्बर 2015