!!दिदु आप भी न मुझे सच्ची में अपनी तीखी मिर्ची का नाम लेकर डराते रहती हो!!
"आप सच्ची में मेरी दुश्मन और तीखी मिर्ची की सच्ची वाली दोस्त बन गई हो।"
!बाप रे मेरी दिदु बदल जाएगी हमें तो पता नही था!
अच्छा होता तुझसे नही मिलता तो हमारा दिल नही टूटता
की मेरी दिदु अब बदल गई है।
तू न सच्ची में मेरी दुश्मन बन गई है।
तभी प्रिया कहती है बुला दूँ तेरी तीखी मिर्ची को,
वेदांत नही नही ऐसा मत करना वरना तेरे प्यारे भाई को खूंखार शेरनी खा जायगी कच्चे ही।😄😄
फिर कौन बनेगा तेरा भाई ढूंढ़ते रह जाना अपनी ननद की चमची।
अरे बदमाश चुप अगर किसी दिन सुन ली तो तू गया काम से हम नही बचाने वाले समझा तू।
सच्ची में दिदु अब तो उससे झगड़ा मुझे भी करना पड़ेगा, की आखिर वो कुछ जादू तो नही जानती है जो मेरी प्यारी दिदु को वो अपने टीम में शामिल कर ली।
हद हो गई है दिदु तुम बदल जाओगी हमें पता नही था।
अच्छा आज मुझे बाहर जाना है शाम को आ जाऊंगी जल्दी सबके आने से पहले।
तुम तीखी मिर्ची से झगड़ा मत करना वरना वो पिट देगी।
हूँ... बड़ा ने आई तेरी तीखी मिर्ची मुझे पीटने।
अच्छा बाबा अब जब तू पिटेगा न तब हम ताली बजायेंगे।
हाहाहा प्रिया हँसते हुए चली जाती है।
वेदांत गुस्से में आज तो तीखी मिर्ची से बच कर रहना, वरना दिदु की बात सही न हो जाय।
वेदांत खुद से अरे वेदु तू कब से डरने लगा।
प्रिया हँसते हुए पूछती है तो बेचारा शरमा जाता है और बगले झाकने लगता है।
वेदांत सच्ची में सोच रहा है अरे उस तीखी मिर्ची के पास मेरी बोलती बंद क्यों हो जाती है कुछ समझ नही आता है मुझे ।
इधर रिद्धिमा सोच रही है।अब क्या करुँ अब तो घर जाना ही पड़ेगा।अब कहाँ जाना है अब तो उस अड़ियल के सामने जाना ही पड़ेगा।अब तो कोई बहाना भी नही है।
उससे भागने का अब तो चल दिल बहुत थक गई हूँ,और घर जा कर उस अड़ियल की पता नही कितनी सारी, बकबक सुननी पड़ेगी।
उफ़.. ये आफत पता नही क्यों आ गया है। मेरे घर अगर पता होता तो नही झगड़ा करती अब क्या करूँ इस, आफत को पता नही कब तक झेलना पड़ेगा।
रिद्धिमा अपने ही ख्यालों में खोई सोच रही है आखिर क्यों हम उसके बारे में सोचते रह जाती हूँ।
हूँ....मुझे और कोई काम नही है जो उसके बारे में सोचूँ।
हे भगवान उस अड़ियल से बचा देना मुझे।
पता नही मुझे क्यों उसके सामने आने में शरम आती है।
हूँ....हम क्यों शरमायें मेरा घर है वो तो मेहमान है वो शरमाएगा हम क्यों?
हूँ... उस अड़ियल से मुझे क्या काम है।
रिद्धिमा सोचते सोचते घर पहुँच जाती है।
वेदांत सोया है बेखबर अब आ गई है उसकी तीखी मिर्ची
😄😄
रिद्धिमा बेल बजा रही है दरवाजा जब नही खुलता है तो बेचारी डर जाती है सोचती है आज भाभी कहाँ चली गई है।
वेदांत नींद से जागता है तो डर जाता है अरे बाप रे अब क्या करुँ लगता है तीखी मिर्ची आ गई आज सच्ची में खा जायगी।हे भगवान बचा लेना मुझे।
तभी फिर से बेल बजता है बेचारा डरते हुए दरवाजा खोलता है और सामने तीखी मिर्ची।
रिद्धिमा तुम ने दरवाजा क्यों खोला भाभी कहाँ है?
क्यों नही आना है बेचारा अंदर से डरा हुआ है फिर भी हिम्मत जुटा कर रिद्धिमा को बोलता है।
वैसे नही आना है तो मत आओ अच्छा रहेगा शांति मिलेगा।
हूँ... सुबह से कितना अच्छा लगा आते के साथ शुरू हो गई तीखी मिर्ची।
रिद्धिमा वेदांत को घूर कर देखती है।
वेदांत सोच रहा है बाप रे लगता है आज खा ही जायगी इस बकरी को खूंखार शेरनी। 😄😄
अरे दिदु आज सच में कहीं तेरी बात सही न हो जाय
आ जाओ बचा लो खूंखार शेरनी से।
तभी रिद्धिमा,
क्यों नही आऊंगी मेरा घर है हम क्यों नही आएंगे
तुम्हें जाना है तो जाओ।
हटो दरवाजे पर से मुझे अंदर जाने दो थकी हूँ तुम्हारी वजह से।
हैल्लो मेरी वजह से हमने क्या किया जो मुझ पर इल्जाम लगा रहे हो।
इल्जाम नही सच है समझे अड़ियल।
भाभी देखो कैसे बदतमीजी कर रहा है और आपके सामने कितना स्मार्ट बनता है शरीफी का मुखौटा लगा कर।
हाहाहाहा आज आपकी चमची भाभी नही है अभी घरका मालिक हूँ।
थोड़े अदब के साथ बात करो समझी।
आना है तो आ सकती हो नही आना है तो शौक से बाहर घूम लो जब तक आपकी चमची भाभी नही आ जाती है।
हूँ.... घूर ऐसे क्या रही हो।
घूर नही रही हूँ तेरी नजर उतार रही हूँ।
तभी प्रिया आ जाती है।
!!अरे क्या हुआ रिद्धिमा तुम बाहर क्या कर रही हो!!
अरे दिदु तुम समझाओ न इनको कब से बोल रहा हूँ अंदर आने के लिए।
ये अपनी जिद पर अड़ी हुई थी की जब तक भाभी नही आएगी वो घर के अंदर कदम नही रखेगी।
हट बदमाश चल सॉरी रिद्धिमा वेदांत की वजह से,
अरे वो बड़ा ही बातूनी है उसकी बातों को दिल पर मत लेना।
रिद्धिमा वेदांत को घूर कर गुस्से में देखती है।
बेचारा सोचता है अरे बाप रे भगवान जी आपने बचा लिया आज मुझे दिदु को भेज कर वरना वो सच्ची में खा जाती मुझे मुझे तो शक ही नही पक्का यकीन हो गया है। ये अगले जन्म में खूंखार शेरनी ही होगी तभी तो लगता है मुझे देखती है कैसे।😄😄
!रिद्धिमा अपने कमरे में चली जाती है और प्रिया वेदांत को आज तू बच गया वरना आज तुझे तेरी खूंखार शेरनी खा जाती बच्चू!😄😄
हाहाहाहा हँसते हुए वेदांत कहता हूँ बड़ी आई अपनी ननद की चमची बनने।
पता है दिदु आज तो तू आ गई वरना उसे अभी और परेशान करता वैसे दिदु डर रहा था उससे।
हाहाहा डरपोक कहीं के।
अरे दिदु चुप सुन जाएगी तो मैं तो गया। मुझे तो लगा आज गया इस खूंखार शेरनी के हाथों 😄😄
वैसे तब तक तू आ गई अपने भाई को बचाने।
चुप बदमाश तुझे कितना मजा आता है उसे परेशान करके
सच्ची में दिदु ऐसी तीखी मिर्ची से पहली बार मिला हूँ न
पहले मिलवा देती तो अच्छा होता न।
क्रमशः......