!!प्रिया सोचती है हमें ही रिद्धिमा और वेदांत में दोस्ती करानी होगी पहले फिर देंखेगे प्यार है या बस नफरत ही
या कुछ और!!
अभी इन दोनों को मिलने देती हूँ फिर जो होगा वो होगा।
प्रिया को लग रहा है दोनों के बीच जरूर कुछ न कुछ है।
क्या प्रिया जो सोच रही है वो सच है या उसका भ्रम।
अब तो रवि ने भी हाँ कर दिया है।
"रिद्धिमा टूट जायगी, और वेदांत से मेरा रिश्ता न टूट जाय"
!!क्या दोनों मिल पायेंगे एक दूसरे से इतनी नफरत है एक दूसरे के नाम से ये नफरत क्या प्यार में बदल पायेगा!!
वेदांत gm दिदु आज तेरे घर में शांति है।
तीखी मिर्ची चली गई क्या घर छोड़ कर.....
अरे मारूंगी न बदमाश.....
क्यों तीखी मिर्ची भा गई क्या.....
अरे नही दिदु आप भी न
अच्छा चल क्या पियेगा चाय या कॉफी....
अरे दीदी कुछ नही आज शांति पीने दे....
क्या कुछ नही....
वो ऐसे ही बोला
अच्छा जीजू और तेरी तीखी मिर्ची घर में नही है आ अब
दोनों भाई बहन आराम से बात करेंगे.....
अरे बदमाश अरे भाई वो बहुत ही अच्छी है पर तुझसे क्यों झगड़ती है मुझे नही पता।
अरे दिदु कुछ तो राज की बात होगी।
प्लीज बताओ न मुझे जानना है फिर उसका इलाज कर दूंगा।
वेदांत हँसते हुए कहता है तो प्रिया उदास हो जाती है। शायद भाई कोई तो ऐसा होगा जो उसे प्यार करना सीखा दे।
अरे दिदु हम हैं न तुम परेशान क्यों होती है।
तुम रिद्धिमा का सच सुनकर उस पर एहसान तो नही करेगा, नही दिदु वो तो मुझे पहली नजर में पसंद आ गई थी। जब मुझे पता भी नही था की हम दोनों एक ही घर में जा रहे हैं।हमें तो लगा ये तीखी मिर्ची बहुत तेज है अगर जिंदगी में आ जाती तो जिंदगी चटपटा बन जाता,
अरे भाई रिद्धिमा बहुत अच्छी है, लेकिन ये शादीशुदा है। इसके पति ने इस पर बहुत ही घटिया इल्जाम लगाता था
ये बहुत कोशिश की थी अपनी शादीशुदा जिंदगी को बचाने के लिए लेकिन जब बात चरित्र पर आ गया तो ये टूट गई इसका पति इस पर बहुत गन्दा इल्जाम लगाता था।
ये हार गई अपनी जिंदगी से ये जीना नही चाहती थी सुसाइड कर ली थी, कोई सोचा भी नही था ये फिर से जीना सीखेगी अभी उम्र भी नही था लेकिन बेचारी खुद के लिए जीना नही चाहती थी।
फिर सब मिल कर इसका साथ दिया फिर वो अपने ऑफिस जाने लगी और हम सब सोचते थे इसे भी प्यार हो जाय पर इसे तेरे साथ झगड़ते देख कर हमने एक सपना देख लिया मुझे माफ कर दो.....
अरे दिदु आप ऐसे मत बोलो.....
अगर आप नही बोलते तो हम बोलते की तेरी तीखी मिर्ची मुझे बहुत पसंद है......
लेकिन भाई रिद्धिमा के दिल की बात कैसे समझूंगी
दिदु मेरे पास एक आईडिया है
अच्छा क्या है पर तू भाई सच में प्यार करता है दिल डर रहा है मेरा।
अरे दिदु तीखी मिर्ची से पहली नजर का प्यार है तो झूठा तो नही होगा न....
अपने भाई पे विश्वास नही है सच्ची में दिदु आप बदल गई हो।अपने भाई से ज्यादा अपनी चमची ननद के तरफ रहती है।
अरे भाई के तरफ रहा करो समझी।
इधर रिद्धिमा का दिल ऑफिस में नही लग रहा था। बेचारी वेदांत के झगड़े को याद कर रही थी।
हूँ... बड़ा ने बहुत खुश हो रहा होगा......
अभी अकेले होगा।
इधर वेदांत ने एक प्लान बनाया....
प्रिया डर रही थी फिर भी वो एक कोशिश करना चाह रही थी।
वेदांत अगर दिदु वो आ गई तो हमसब की जीत होगी।
रिद्धिमा के ऑफिस में प्रिया फ़ोन करती है और कहती रिद्धिमा हम हॉस्पिटल में है वेदांत का एक्सीडेंट हो गया ।है।बहुत ही हालत खारब है अच्छा रखती हूँ...
अरे भाभी रुको तो क्या हुआ उसे....
रिद्धिमा रोने लगी अरे क्या हो गया उसने फिर फ़ोन लगाई पर प्रिया काट दी
वो डर भी रही थी पर वेदांत बोला डरना नही दिदु
ननद की चमची तू डर गई तो मेरी तीखी मिर्ची मुझे खा जाएगी समझी।
रिद्धिमा ने फिर फोन किया उधर से प्रिया तुम घर चली जाना हम और भैया हॉस्पिटल में हैं।
अरे भाभी रुको न कौन सा हॉस्पिटल बताओ न
प्रिया जल्दी से कुछ समझ नही आया तो सीटी हॉस्पिटल नाम बता दी।
फिर फ़ोन काट दी इधर वेदांत पूरे तरह से मरीज बन कर लेटा था जैसे सच्ची में उसका एक्सीडेंट हो गया हो।
रिद्धिमा दौड़ते हुए आती है और रेसिपीनिस्ट से पूछती है। आज कोई केस आया है बहुत ही उनकी हालत खारब है प्लीज बता दो न
रेसिपीनिस्ट कहती नही तो वो प्रिया को फ़ोन करती है भाभी आप कहाँ हो.....
यँही तो हूँ तेरे पीछे तू हॉस्पिटल में है।
रिद्धिमा की ऑंखें लाल थी वो कुछ नही बोली भाभी वो कैसा है।
जाओ देख लो मुझसे नही देखा जा रहा है, उसकी हालत
रिद्धिमा दौड़ कर रूम में जाती है।वेदांत ऑंखें बंद किये हुए है लग रहा है सच्ची में वो बेहोश है तभी रिद्धिमा
उसके पास आती है और कहती प्लीज एक बार ऑंखें तो खोलो मुझे माफ कर दो।
तुम से झगड़ा करना अच्छा लगता था पर तुम ऐसे दूर मत जाओ।
प्लीज ऑंखें खोलो तो अब नही झगड़ा करुँगी सच्ची में
प्लीज प्लीज भगवान जी....
अरे क्यों रो रही हो मुझे कुछ हुआ ही नही है बस तुझसे दोस्ती करने के लिए ऐसा किया।
तुम प्यारी ही इतनी थी थी तो मुझे प्यार हो गया
अब क्या करता खूंखार शेरनी से लड़ने में जब इतना अच्छा लगा तो प्यार करना तो बनता है न 😄😄
रिद्धिमा वेदांत के गले लग जाती है और रोते हुए कहती है कभी ऐसा मजाक मत करना,और उसे वो मारने लगती है।😭😭
!!वेदांत हँसते😀😀 हुए कहता है अरे मरीज को कोई मारता है!!
रिद्धिमा कहती है हाँ मारूंगी न तुमने ऐसा मज़ाक क्यों किया।
अच्छा अब से नही करूँगा।
पर अब तो गले लगना छोड़ दो तीखी मिर्ची देखो सब देख रहे हैं।
!!वो देखती है तो रवि और प्रिया उसे देख कर बहुत खुश हो रहे थे,और सबकी आँखों से गंगा जमुना बह रही थी।
आखिर प्रिया जीत गई अपने मिशन में!!
क्या आपको लगता है ये सच है या सपना तो जनाने के लिए अगले भाग में मिलते हैं।
क्रमशः