!!प्रिया कहती है रुक आती हूँ रिद्धिमा से पूछ करआती हूँ थकी होगी बेचारी!!
हूँ...बड़ा ने बेचारी कहती है उसे खूंखार शेरनी को
अरे रिद्धिमा चाय नही पीना है।
अरे भाभी रुको हम बना कर लाते हैं आप बैठो।
प्रिया नही तू थकी है तू आराम कर हम बना कर लाते हैं।
अरे दिदु आज सबको अपने हाथ से चाय पिलाता हूँ।
तुम सब याद करोगे मेरी चाय को.....
रिद्धिमा खुद से हूँ.."खाक चाय बनाएगा लड़कियों से बदतमीजी करने से फुर्सत नही है और बनाने आया है चाय शक्ल तो देख लो"।
वेदांत खुद से तुम से अच्छी ही शक्ल है तेरे जैसे खूंखार शेरनी जैसी नही हूँ।😄
रिद्धिमा देखो न कितना शरीफ बन गया है भाई भाभी के पास इस अड़ियल को बाप रे इसे तो बस हम समझते हैं।
एक चेहरे पर कितने सारे चेहरे लगा कर रखता है,पता नही कहाँ से ये हुनर सीखा होगा।
वेदांत सोच रहा है जरूर तीखी मिर्ची मेरे बारे में सोच रही होगी।😄😄
अरे तू चाय बनाएगा या खुद बनाने जाऊं।
अरे दिदु अभी बना देता हूँ, तुम ऑंखें बंद करो।
अरे भाभी मुझे नही पीना है चाय मन नही कर रहा है।
अरे तू और चाय नही ऐसा कैसे हो सकता है।
!!अच्छी बात है मुझे एक कप कम बनाना पड़ेगा!!
चलो दिदु चाय पीने जिन्हें नही पीना वो नही पिए,
वैसे पी लेते तो चार चाँद लग जाता हमारी चाय को।
मेरी मर्जी कोई जबरदस्ती है क्या?
आपकी चाय मुझे नही पीना वैसे हम अपनी भाभी के हाथ की चाय पिती हूँ।किसी ऐरे गरे की हाथ की चाय नही पिती हूँ..
समझे अड़ियल।
वेदांत हूँ...तीखी मिर्ची तुझे पिला कौन रहा है।
मुंगेरी लाल के हसीन सपने देखते रहो।😄😄
रिद्धिमा आपकी सड़ी चाय पीने से अच्छा है नही पिऊं तो ज्यादा अच्छा है समझे अड़ियल।
आप चाय बनाने जा रहे हो या या नही।
नही क्यों क्या करोगी आप।
भाभी को बुला दूँ या आप जा रहे हो।
पता नही इस अड़ियल को जितना गुस्सा करती हूँ उतना ही मुझे परेशान करता है।
चाय तो बना नही रहा है बस बातें बनाने का ठेका ले रखा।
उफ़ कब पीछा छूटेगा।
रिद्धिमा का दिल पूछता है सच्ची में।
तुझे भी उससे झगड़ा करने में अच्छा लगता है बस तू बताती नही है।
रिद्धिमा उदास हो जाती है।
नही ऐसी बात नही है मुझे सच में गुस्सा आता है उसे देख कर।
अच्छा देखती हूँ तुझे उसका दिल उससे कहता है।
वेदांत रुक तीखी मिर्ची तुझे तो आज बताता हूँ।
"बहुत गुस्सा दिखाती है इस सीधा साधा बकरी को तुम से तो हमें भगवान ही बचाए।"
प्रिया मजे ले रही है दोनों के झगड़े में और मुस्कुरा रही है।
रिद्धिमा गुस्से में पैर पटकती हुई अपने कमरे में जाने लगती है तब प्रिया कहती है क्या हुआ कहाँ चली।
अरे भाभी अगर नही जाऊंगी तो न चाय बनेगी और न मिलेगी।
और ये अपनी बकबक भी बंद नही करेंगे धीरे से बोलती है वेदांत सुनकर मुस्कुराने लगता है।
वेदांत प्रिया के कानों में धीरे से बाप रे सही में इसका नाम तीखी मिर्ची है हमें तो उससे भी तीखी मिर्ची लगती है।
😄😄
रिद्धिमा भूनभूनाते हुए अपने आप को क्या समझता है। भाभी का भाई है गनीमत समझो वरना तुझे समझा देती, पर भाभी का भाई समझ कर छोड़ देती हूँ,वरना सारे अड़ियलपन दूर कर देती सूँ सट्टाक..... 😄😄
तभी बेल बजता है प्रिया कहती है लगता है रवि आ गए।
रवि आते ही कहता है, देख मेरी गोलगप्पा देखो आज सही टाइम पर आया हूँ।तेरी हाथों की चाय पीने सब के साथ।
जी नही आज आप मेरी हाथ की चाय नही किसी और की हाथों की चाय पीनी पड़ेगी।
रवि चिढ़ता है क्यों मेरे लिए किसी और को ले आई है।😄
हट चुप तुम भी न कुछ भी सपने देखने लगते हो।
अरे आज वेदांत आज बना रहा है आप जल्दी से फ्रेश हो जाओ फिर सब मिलकर मेरे भाई के हाथ की चाय पीना
रवि कहता है मोटी आ गई क्या ऑफिस से ?
वेदांत खुद से "हाँ आ गयी है जीजू आपकी सीधी साधी
खूंखार शेरनी जा कर बुला कर लाओ तो जानूँ।"
प्रिया हाँ गई है अपने कमरे में है वेदांत से झगड़ा हो गया।
दोनों की पटती ही नही दोनों की ये तो बात बात पर बच्चों से झगड़ने लगते हैं तुम देखो तो अपनी हँसी नही रोक पाओगे सच्ची में।
!!अभी वेदांत बोला चाय बनता हूँ, तब वो कहती बस मुझे अपनी भाभी के हाथ की चाय पिनी है बस हो गया दोनों में नोकझोंक समझे मेरे कुम्भकरण!!😄😄
गुस्से में अपने कमरे में चली गई है वेदांत से झगड़ कर बोली चाय मुझे बस अपनी भाभी के हाथ की पीनी है या खुद की।
देखो न आप ही उसे मना कर लाओ न आपकी बात मान जाएगी।
वेदांत प्रिया के कानों अरे छोड़ दो न दिदु अच्छा हुआ। वो चली गई वरना उसकी वजह से मजा नही आता। वो गुस्से में हमेशा रहती है कैसे तू इसे झेल लेती है।
चुप बदमाश तुम भी कम नही है जब न तब उसे चिढ़ा देता है बेचारी को।
अहा अहा हूँ बड़ा ने आई है उसे बेचारी कहने हमें तो कभी नही कहती है बेचारा।
😄😄
रवि अरे गोलगप्पा ये जब से ट्रिप से आई है न तब से बदली बदली सी लगती है।तुझे भी लगता है क्या?
अरे नही आप इतना मत सोचो वरना हम तो सोचना ही भूल जायेंगे की अभी मेरा भाई हम सब को कड़क अदरक वाली चाय बना कर पिला रहा है अपनी विदेशी तरीके से 😄😄
अच्छा आता हूँ अपनी मोटी को बुला कर बाबा वरना तुम कहोगी आप से तो एक काम भी नही होता है ढंग से।
क्रमशः......