!!वेदांत प्रिया का मुँह देखने लगता है और इशारे में कहता है प्लीज दिदु चुप तो हो जाओ!!
वरना ये तेरी तीखी मिर्ची इस हालत में भी हमें खा जाएगी।
रिद्धिमा भी प्रिया को देखती है अजीब नजरों से जैसे पूछ रही हो।
!!ये कोई भगवान थोड़े है जो मुझे बचा लिया हूँ... बड़ा ने अड़ियल अपने आपको क्या समझता है!!
भाभी के आँखों पर पट्टी पड़ी है। अपने शरीफ भाई की
तभी रवि प्रिया से कुछ बात करने चले जाते है,और वेदांत धीरे से उसके पास आता है और कहता है ऐसे क्या देख रही हो खा जाओगी क्या चलने भी नही आता है खुद की भी फिक्र नही है।
रिद्धिमा चुप बड़ा ने आप आये हो मेरा ख्याल रखने वाले भाभी की तारीफ में ज्यादा खुश मत होना।
वेदांत आराम करो अभी धीरे से उसके कान में कह कर चला जाता है।
रिद्धिमा गुस्से में दाँत पीसते हुए कहती है अच्छा अड़ियल तुझे तो छोडूंगी नही।
लेकिन रिद्धिमा को उसकी बातों से गुदगुदी होने लगती है, और कहती है ये अड़ियल तो मेरे पीछे पड़ गया है।अब इसका क्या काम है इस हॉस्पिटल में।
तभी वो सुनती है कोई बुला रहा है डॉक्टर वेदांत कल से आप हॉस्पिटल में क्या बात है सब ठीक है न।
रिद्धिमा सोचने लगती है ये डॉक्टर वेदांत है।
नही नही ये और डॉक्टर होगा तो सारे पेसन्ट को और बीमार बना देगा।
ये दिखता तो नही है।डॉक्टर खाक डॉक्टर होगा।
तभी सिस्टर आती है और पूछती है कैसी है आपकी तबियत।
रिद्धिमा कहती है ठीक हूँ,
सिस्टर कहती ठीक तो होगा ही न आपको तो खुद डॉक्टर देख रहे हैं कल से।
पता नही क्या रिश्ता है आपसे लेकिन कल से आपके लिए एक पल भी आराम नही किये हैं।
रिद्धिमा क्या? कहा आपने तभी प्रिया और रवि आते हैं, और कहते हैं तू घर चल कर आराम करना डॉक्टर से मिलकर आयें हैं।
रिद्धिमा कहती है अरे भाभी तुम कैसे इतना सब अकेले करोगी यँही रुक जाती हूँ।
नही चलो हम सब को तेरे बिना अच्छा नही लग रहा है।
रिद्धिमा हॉस्पिटल से जाने लगती है लेकिन उसकी ऑंखें वेदांत को ढूढ़ रही है।
वो अनमने मन से आती है सोच रही है वो डॉक्टर था मुझसे मिलने क्यों नही आया।
प्रिया क्या सोच रही है आराम कर ज्यादा मत सोच।
रिद्धिमा पहुंच कर अपने कमरे में आराम कर रही है उसे अजीब सा लग रहा है।
दर्द भी कर रहा है भगवान से कहती क्यों मेरी ये हालत कर दिए भगवान जी।
आह कितना दर्द है अकेले कितना झेलूँ सारा दर्द।
तभी लगता है जैसे वेदांत कह रहा है हमें साथ कर लो आधा आधा कर लेंगे।
रिद्धिमा गुस्से में देखती है तो कोई नही होता है।
तभी प्रिया क्या हुआ किसे गुस्सा कर रही थी।
रिद्धिमा कुछ नही भाभी बस ऐसे ही तभी,रवि कहता इसे आराम करने दो वेदांत से बात हुई तुम्हारी गोलगप्पा,
हाँ रवि उससे हो गई है।
अच्छा आती हूँ आप रुको रिद्धिमा के पास।
रिद्धिमा नही आप सब अपना काम करो हम ठीक हैं।
वेदांत आता है और प्रिया से पूछता है वो ठीक है न तेरी तीखी मिर्ची।
प्रिया मेरी या तेरी अरे बाप रे दिदु मरबाएगी क्या मुझे।
प्रिया हंसने लगती है क्यों क्या हुआ उसके लिए तो तू परेशान था।
अरे दिदु डॉक्टर हूँ न सबकी जान बचाना हमारा फर्ज है न।
अच्छा बड़ी बड़ी बातें कर रहा है।
वैसे तुझे मेरी भी उम्र लग जाय जो तूने मेरे घर की खुशी मुझे लौटा दिया हम सब तो डर गए थे।
पता नही क्या होगा।
वेदांत अरे दिदु तेरी खुशी ही तो मेरी खुशी है पर क्या करूँ कुछ समझ नही आता है।
वेदांत खुद से बोलता है।
तभी प्रिया कहती है अरे वेदु जरा दवा तो रिद्धिमा को दे दे।
अरे दिदु वो मुझसे नही खाएगी बड़े नखरे हैं उसके
अरे नही जा तो एक बार।
वेदांत डरते डरते जाता है और कहता है दवा ले लीजिये
रिद्धिमा आप के कहने से हम नही लेंगे मेरी मर्जी।
वेदांत ऑंखें दिखाते हुए बोलता है।दिदु तभी रिद्धिमा अच्छा दे दीजिए और चले जायँ आप यहाँ से।
वेदांत नही पहले आप दवा खा लो फिर चला जाऊंगा आपके पास रहने का इरादा नही है वो तो दिदु का हेल्प करने चला आया था समझी आप।
रिद्धिमा दाँत पीसते हुए कहती है हूँ... बड़ा ने आये हो दिदु के शरीफ भाई बनने।
अच्छा बाबा जा रहा हूँ गुस्सा मत होना आप आराम करो।
पता नही मुझे देखते ही आप को गुस्सा क्यों आता है।
इतना तो बेकार नही हूँ जरा पूछ लीजिये लड़कियों से।
हूँ...जाओ आप यहाँ से काम तो है नही आपके पास
तो लड़कियां ही बताएगी आपको न।
रिद्धिमा का गुस्सा देख कर वेदांत सोचता है चला ही जाता हूँ।
लेकिन आज तो रात में इससे पूछ कर रहूँगा वरना मैं इसके प्यार में कुंवारा न रह जाऊं।😄😄
रिद्धिमा हे भगवान इसके पास लगता है भेजा नही है इतना इसे गुस्सा करती हूँ पर इसे मेरी बातों का कुछ असर नही होता है।
रिद्धिमा का दिल कहता है कहीं उसे तुझसे प्यार तो नही हो गया है।
मुझसे प्यार करके उसे क्या मिलेगा पत्थर की मूरत से
अब प्यार कहाँ है मेरे पास सब खो गया।
रिद्धिमा रोने लगती है फिर अपने दिल को कहती है नही उसे बता देना पड़ेगा वरना वो अपनी गलतफहमी में नही जीने दूँगी।
प्रिया रिद्धिमा का खाना ले कर आती है उसे खिला कर कहती है यँही सो जाऊंगी।
रिद्धिमा नही भाभी आप आराम से सो जाना मुझे कुछ नही होगा अगर हुआ तो आपको आवाज दे दूँगी।
फिर रवि आता है उसे दवा देता है फिर उसे आराम से सो जाना कहते हुए उसके सर पर हाथ फेरते हुए उसे प्यार करते हुए कहता है अरे मोटी तुझे कुछ हो जाता तो।
फिर वो आँसू पोछते हुए चला जाता है।
रिद्धिमा आती है तो वेदांत किसी से बात कर रहा था।
फिर वो फोन रख कर कहता है अरे दिदु कल होली है।
प्रिया कुछ नही बोलती है जैसे उसे सांप सूंघ गया हो।
तभी रवि आता है और कहता है मेरे घर में होली नही मनाते हैं।
अरे क्यों जीजू हम तो सोच कर खुश हो गए की बड़े दिनों बाद आप सब के साथ होली मनाऊंगा।
प्रिया बोली रिद्धिमा की वजह से हम सब होली नही मनाते हैं।
सब उदास हो गए वेदांत सोचा आखिर ऐसा क्या हुआ था।
तभी प्रिया कहती है बाद में बताऊंगा।
अच्छा चल सोने वेदांत कुछ बोलना चाहता है तो प्रिया कहती है बता दूँगी
वेदांत सोचता है अच्छा तीखी मिर्ची से पूछ लूँगा आज। कल तो होली तो मना कर रहूँगा सबके साथ साथ।
क्रमशः.......