"अरे दिदु आप भी न मुझे सच्ची में अपनी तीखी मिर्ची का नाम लेकर डराते रहती हो।"
आप सच्ची में मेरी दुश्मन और तीखी मिर्ची की सच्ची वाली दोस्त बन गई हो।
बाप रे मेरी दिदु बदल जाएगी हमें तो पता नही था।
अच्छा होता तुझसे नही मिलता तो हमारा दिल नही टूटता
की मेरी दिदु अब बदल गई है।
"तू न सच्ची में मेरी दुश्मन बन गई है"।
तभी प्रिया कहती है बुला दूँ तेरी तीखी मिर्ची को।
वेदांत नही नही ऐसा मत करना वरना तेरे प्यारे भाई को खूंखार शेरनी खा जायगी कच्चे।😄😄
फिर कौन बनेगा तेरा भाई?
अरे बदमाश चुप अगर किसी दिन सुन ली तो तू गया काम से हम नही बचाने वाले समझा तू।
सच्ची में दिदु अब तो उससे झगड़ा मुझे भी करना पड़ेगा
और पूछना पड़ेगा की की आखिर वो कुछ जादू तो नही जानती है जो मेरी प्यारी दिदु को वो अपने टीम में शामिल कर ली।
हद हो गई है दिदु तुम बदल जाओगी हमें पता नही था।
अरे दिदु तुम मेरी बातें सुनकर किन ख्यालों में खो जाती हो तुम कहीं पुराने दिनों में खो तो नही जाती हो।
अरे नही बस ऐसे ही अच्छा तुझसे एक बात पूछूँ तू अभी तक किसी को क्यों नही पसंद किया?
अरे दिदु फुर्सत कहाँ मिला ऊँचे सपने में ऐसा खोया की खुद के बारे में कभी सोचने की फुर्सत ही नही मिला।
प्रिया कहीं तू रिद्धिमा को पसंद तो नही करने लगा है।
हाहाहाहा.....दिदु तुम भी न ये कैसा सबाल कर दिया जिसे देखते ही मेरी बोलती बंद हो जाती है।उसकी वो खूंखार ऑंखें जैसे मुझ सीधे साधे बकरी को खा जायगी लगता है।
प्रिया हँसते हँसते अरे चुप बदमाश मेरे पेट में दर्द होने लगा है।
आज तू पक्का बच कर रहना आज तो रिद्धिमा से कहना पड़ेगा की तुझसे कोई डरता भी है यहाँ पर।
अरे दिदु मेरी पोल मत खोल देना तीखी मिर्ची के पास वरना मेरी सारी इमेज खराब हो जायगी।
प्लीज प्लीज दिदु!
अच्छा ये बता तू इतना सीधा तो था न इतना सीधा कब से बन गया है।
अरे जब से तेरी तीखी मिर्ची से मिला हूँ तब से वैसे आज भी वही वेदांत हूँ समझी दिदु।
अच्छा फिर मेरी रिद्धिमा के पास आ कर तेरी बोलती बंद क्यों हो जाती है।
अरे दिदु यही तो समझ नही आता है जितना समझना चाहता हूँ उतना ही उलझ जाता हूँ।
रिद्धिमा आज ऑफिस में थकी थकी सी लग रही थी।
एक तो उस अड़ियल की वजह से रात में भी लेट सोयी
सुबह उसकी वजह से ऑफिस भी जल्दी आ गई हूँ,अगर घर चली जाऊंगी तो भी उसकी बकबास सुननी पड़ेगी
उससे अच्छा ऑफिस में ठीक हूँ...
हूँ.. पता नही कब तक उस अड़ियल को झेलना पड़ेगा मुझे।
पता नही क्यों आया है यहाँ पर मेरा सर दर्द करता है उसे देख कर।
रिद्धिमा का दिल कहता हट झूठी क्यों तुम उसके बारे में सोच रही हो जब तुझे नही पसंद है तो क्यों उसके ख्यालों में उलझ जाती हो।
रिद्धिमा खुद से नजरें चुराते हुए शरमा जाती है।
और गुस्से में हूँ क्यों सोचूँ उस अड़ियल के बारे में उसके जैसे मेरे पास फालतू के टाइम नही है।
हूँ चली मैं अपने काम करने उसके लिए अपना टाइम क्यों बर्बाद करूँ....
वेदांत भी सोच रहा है सच्ची में मैं क्यों उसके ख्यालों में खो जाता हूँ क्यों बारबार उसके ख्याल आ जाते हैं।
हूँ... तीखी मिर्ची मुझे क्या करना इसका पर इसकी बातें तो दिल से जाती ही नही है कुछ न कुछ तो बात है इस तीखी मिर्ची में।
प्रिया कहाँ खो गया है बैठे बैठे भाई।
अरे नही दिदु जीजू कब आएंगे।
अच्छा जीजू या कोई और
कोई और कौन अच्छा कोई और नही
नही दिदु वेदांत सर खुजलाते हुए मुस्कुराते हुए कहता।
अच्छा बच्चू।
क्या मेरी दुश्मन दिदु तुम भी न कुछ भी बोलते रहती हो,
लगता है तू और तेरी तीखी मिर्ची को मुझे भगा कर ही चैन मिलेगा।
अरे नही भाई कितना अच्छा लगता है कितने दिनों बाद हमसब मिले हैं।
अच्छा सुन न तुझे कहीं जाना भी है।
नही दिदु आज तो कुछ नही सोचा है अगर चलेगी तुम सब तो साथ में चलते।
अरे आज शाम को बाहर जाना था अच्छा तुम घर पर रहोगे न।
हाँ दिदु आप जाओ न आपकी तीखी मिर्ची को कोई तकलीफ नही होगा।
अरे आज उसे बतया भी नही।
अरे दिदु कोई बात नही तुम आराम से जाना मैं उसे देख लूँगा।
प्रिया किसे तुम देख लोगे।
अरे कुछ नही दिदु तुम्हारे घर और तुम्हारी तीखी मिर्ची और तेरे कुम्भकरण को भी।
हाहाहाहा बदमाश!
इसको सच्ची में रिद्धिमा पिट देगी।
अच्छा अपनी ननद की ज्यादा तारीफ मत करो समझी।
अच्छा एक बात पूछूँ तुझसे सच्ची सच्ची बताना।
अरे दिदु पूछ लो जो दिल में करे।
अच्छा तुझे कैसी लड़की चाहिए बता ने अगर मेरी नजर में कोई होगी तो तुझे उससे मिलबाऊंगी।
कैसा रहेगा?
अरे दिदु सच्ची में बता दूँ अब तुम इतना पूछ रही हो तो
बस हँसना नही।
अरे क्यों हँसऊँगी तू बता तो सही।
देख दिदु अंधी लंगड़ी लुल्हि सब चलेगी ही नही दौड़ेगी
बस तेरी तीखी मिर्ची जैसी कोई न मिले वरना मेरी जिंदगी तो लुढ़केगी भी नही।
प्रिया हँसते हँसते लोटपोट हो जाती है।
अगर वही पसंद आ गई तो तब क्या करेगा?
अरे दिदु तू किस जन्म का दुश्मनी निकल रही है तेरे मुँह में मिर्ची लगे कैसे अपने प्यारे और सीधे भाई के लिए ऐसा सोच सकती है
तू मेरी दिदु नही मेरी दुश्मन बन गई है।
हाहाहाहा प्रिया हँसते हुए।
अच्छा मुझे काम करने दे तुम तो हँसा हँसा कर आज पागल बना दिया है।
सुन ठीक से रहना मुझे आज बाहर भी जाना है रिद्धिमा आएगी तो तुम झगड़ा मत शुरू कर देना।
अच्छा है तू भी चली आज तो मैं आराम करूंगा और तेरी तीखी मिर्ची से काम भी कराऊंगा।
चुप बदमाश मुझे जाना है अच्छे से रहना ठीक है दिदु और तेरी तीखी मिर्ची को भी ठीक से रखूँगा। 😄😄
क्रमशः......