जय जय हे जगत जननी सीता माता
जय जय हे जगत नारायणी सीता माता,
झोली भर के जाता, जो तेरे दर पे आता।
तू सुकुमारी जनक दुलारी मिथिला कुमारी,
सारा संसार तेरी महिमा के गुण है गाता।
जय जय हे जगत जननी सीता माता
जब से महाराज जनक जी ने तुमको पाया,
जन्म जन्म का अपना हर दुःख बिसराया।
तेरे लिए भगवान राम ने शिव धनु तोड़ा,
होता वही जग में जो जब चाहता विधाता।
जय जय हे जगत जननी सीता माता
तुम मिथिलेश्वरी बनी अवध की महारानी,
अग्नि परीक्षा देकर लिख गई नई कहानी।
तुमने बढ़ाया नारी शक्ति का मान मर्यादा,
तेरा रास्ता जग को नया रास्ता दिखलाता।
जय जय हे जगत जननी सीता माता
घर घर में पूजी जानेवाली तुम ऐसी देवी,
तेरे चरणों में इंसान हर दुःख भूल जाता।
तुमने दुनिया को प्रेम का पाठ जो पढ़ाया,
कर दिया अटूट मिथिला अवध का नाता।
जय जय हे जगत जननी सीता माता