*"सदा न संग सहेलियाँ, सदा न राजा देश।*
*सदा न जुग में जीवणा, सदा न काला केश।*
*सदा न फूलै केतकी, सदा न सावन होय।*
*सदा न विपदा रह सके, सदा न सुख भी कोय।*
*सदा न मौज बसन्त री, सदा न ग्रीष्म भाण।*
*सदा न जोवन थिर रहे, सदा न संपत माण।*
*सदा न काहू की रही, गल प्रीतम की बांह।*
*ढ़लते ढ़लते ढ़ल गई, तरवर की सी छाँह।"*