जन्म लेते ही जीवन की, शुरुआत हो जाती
चाहे अनचाहे कुछ घड़ियां, जीवन में आती
पसन्द हो या नापसन्द, वो याद बहुत आती
याद कोई भी आए, किंतु रुलाकर ही जाती
बीती बातें भूलकर, केवल वर्तमान में जीना
जीवन रूपी सोमरस को, स्वाद लेकर पीना
जीवन यदि पाया है, तो मोक्ष हमें क्यों पाना
इस जीवन को जीने के, लायक हमें बनाना
तेरा जीवन औरों के, जितना काम आएगा
उतना ही सुख तेरे, जीवन में दौड़ा आएगा
लोभ लालच छोड़कर, बनो त्याग की मूरत
छल कपट नजर ना आए, रखो ऐसी सूरत
कोई ना रोए जब, इस संसार से तुम जाओ
अपनी मृत्यु को तुम, उत्सव समान मनाओ