प्रणाम सद्गुरू,
मनुष्य को अभी तक पता नही है क्या है सुख, क्या है आनन्द। हम अपना बीमा कराते है ताकि परिवार के सदस्यो को आर्थिक संकट से गुजरना न पड़े। मनुष्य कभी हसता है कभी रोता है। सुख आता है व दुख आता है इस तरह से जीवन चलता है।आनन्द क्या है बहुत कम लोग उपलब्ध कर पाया है। अधिकतर सुख को आनन्द मान लेते है। कहते है आनन्द सुख दुख के पार है जब किसी को आनन्द उपलब्ध होता है तो आर्थिक लाभ हानि का उस पर कोई असर नही होता है वह आनन्द मग्न रहता है। मेरे विचार से इस संसार के भौतिक सुख सुविधाओं से आनन्द का कोई लेना-देना नहीं है। आनन्द वो बिन्दु है जहाँ पर एक व्यक्ति उस स्रोत से जुड़ जाता है जो वैराग्य की ओर जाता है। उसे समाज की परवाह भी है और समाज के विचारो का विरोध भी करता है।
save tree🌲save earth🌏&save life❤