प्रणाम गुरुदेव,
हाँ, मेरा पेट भरा है तो सम्भावना है कि मैं दूसरो को खिलाऊँगा या किसी का भोजन तो नही छीन सकता। संतुष्टि वह विरामावास्था है जिसमे परिधि पर संसार तो चलता है केन्द्र पर वह स्थायी रहता है और संसार का मजा लेता है। महावीर ने कहा है "जियो और जीने दो " इस संसार में सभी प्राणी को रहने का अधिकार है यह अधिकार तभी होगा जब वह किसी को नुकसान नही पहुँचाता है। एक ही सड़क है उसमे बहुत लोग आ रहे है और बहुत लोग जा रहे है कोई किसी को टच नही करता है क्यो ;क्योंकि सब किसी नियम से बन्धे हैं। मैं किसी को टक्कर क्यो मारू जबकि मैं ये चाहता हूँ कि कोई मुझे हताहत न करे।
होता ये है कि आपके अन्दर जो भाव है जो संस्कार है वही बाहर प्रक्षेपित होगा। रील के अन्दर है वही तो पर्दे पर दिखाई देगा। रील में जो चित्र अंकित है वही चित्र बाहर आयेगा। कोई बच्चा केवल सकारात्मक माहौल में पला है वह अपने जीवन में सकारात्मक ही जीएगा ।बहुत कम ही कोई गलत काम करेगा। गलत राह अपनाएगा । उस माहौल को पहचान लेगा ।
save tree🌲save earth🌏&save life❤