प्रणाम सद्गुरू,
Yes, कोई फूल खिलता है तो उसकी सुगंध फैल जाता है चाहे कोई उसकी खुशबू ले या ना ले। इसकी वह परवाह नही करता वह खिलने में ही पूर्ण है। उसकी सुगंध पाकर कीट पतंग व लोग दौड़े चले आते है । जो प्रेममय रहेगा वह अपना ही हित कर रहा है।अपने चारो ओर प्रेम व शान्ति का वातावरण बना रहा है। जो अपने को प्रेम करेगा वह कल दूसरो को प्रेम करने में सक्षम होगा। कम से कम दुसरा का अहित तो नही चाहेगा।
मनुष्य अक्सर प्रेम की मांग करता है ।वह परमात्मा से या किसी व्यक्ति से प्रेम चाहता है जबकि प्रेम माँगने से मिल जाए ऐसा नही है। जगत एक प्रतिध्वनि है जो तुम भेंट करते हो वह कई गुना होकर वापस लौटता है। जिसका आप भला करते हो वह आपका भला करे या ना करे उसका फल आपको मिल ही जाता है। यह न देखे कि जिसका आपने भला किया है वही आपका भला करेगा । यह दृष्टि उचित प्रतीत नही होता इसमे राजनीति की झलक मिलती है ।लेन देन की बात आती है चाहे प्रेम के नाम पर क्यो न हो। आपका भला होगा संसार में दान जो भला का किया है। दाता बनो भिखारी बने बैठो हो मांग रहे हो भीख और जिससे तुम मांग रहे हो वह भी हाथ फैलाए घूम रहा है। दो भिखारी एक दुसरे को क्या देंगे। दोनो के पास कोई खजाना नही है। प्रेम दो प्रेम मिलेगा। किसी जीव में हाथ फेर दो वह उस स्पर्श को अपना लेता है। उसे प्रेम का स्पर्श मिल गया। वह आपके स्पर्श को नही भुलेगा । उसके अन्दर कुछ खिलने लगेगा वह जानवर होकर भी प्रेम को जान पाएगा महसूस करेगा। और अगले दिनो में आपकी ओर आने को आतुर होगा। आपको पहचान जाएगा। जो डर होता था उसे आपके प्रति वह समाप्त हो जाएगा। प्रेम इतना कुछ कर जाता है।
save tree🌲save earth🌏&save life❤