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कोई शाकाहार नही है

23 अप्रैल 2024

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प्रणाम सिस्टर,
                   Yes, हम क्या खाए और कैसा खाए हमारा शरीर एक भौतिक शरीर है जो मेटर से निर्मित है। जब किसी हिंसक व पालतु पशु-पक्षी का मांस खाते है तो उसका आचरण,डर व बल भी उसमे समाहित रहता है जो मनुष्य के मन पर प्रभाव डालता है। मांस प्राकृतिक नही है जबकि अन्न फल नेचुरल है हमारी आँते उतना नही पचा पाता जितना अन्न या फल।
                 इस पृथ्वी पर सभी लोगो का अधिकार है। सभी के लिए भोजन उपलब्ध है। पर मनुष्य शाकाहार व मांसाहार दोनो है। अन्य जीव की अपेक्षा मनुष्य में चेतना है और उसी के कारण वह सभी जीवों में बुद्धिमान है। चेतना की उड़ान के लिए पंख चाहिए जो शाकाहार से सम्भव है। जीसस ने कहा है हम दूसरो से वही व्यवहार करे जो अपने लिए चाहते हैं। जीव जंतु व शाक सब्जी दोनो सजीव है जीव जंतु एक जगह से दुसरे जगह विचरण करते हैं जबकि पेड़ पौधे एक जगह रहते है। काटने व मारने पर दोनो को दर्द होगा पीड़ा होगी पर शाक सब्जी व फल को हम ग्रहण कर सकते हैं खा सकते हैं । ऐसे में शाकाहार किसे कहे ये पेड़ पौधे भी जीवित है । अगर इस पृथ्वी पर जीना है तो हमे फल व फसल को ग्रहण करना होगा फल तो पकने पर गिरने की अवस्था में होते हैं उसी प्रकार फसल भी जब सुख चुका होता है तो हम उसे काटते हैं। यदि हम इसे नही खायेंगे तो जिएंगे कैसे जीने के लिए तो कुछ ना कुछ खाना होगा।
                         हम कैसे खाए ये भी मायने रखता है कहने का मतलब है अगर मन दुखी होगा तो जो भी खायेंगे वो भी खाने के साथ हमारे मास मज्जा में चला जायेगा। अगर प्रसन्न चित्त के साथ भोजन ग्रहण करते हैं तो भोजन की गुणवत्ता बदल जाएगी । हमारा मन व शरीर दोनो ग्रहण करने को राजी हैं। कोई प्रतिरोध नहीं । ऐसे में जो भी खाओगे अमृत होगा।अन्न्ं ब्रह्मम ;अन्न में ब्रह्म का स्वाद जो चख लेते है वो स्वाद से मुक्त हो जाते हैं । काबिल लोगो ने ये भी जाना कि भोजन के स्वाद में ईश्वर है ।

save tree🌲save earth🌏&save life❤

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रचनाएँ
बुद्धम शरणम् गच्छामि
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यह लेख उन महान लोगो को लिखे गए पत्रो का संग्रह है जो सद्गुरु जग्गी वासुदेव, आचार्य प्रशांत,सिस्टर शिवानी व अन्य बुद्ध पुरुषो को जवाब में लिखे गए है।
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पत्र

30 जनवरी 2024
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प्रति,        तेजस्वी जी🕯         सादर नमस्कार🙏               हर मनुष्य किसी न किसी धर्म में जन्म लिया है। जन्म के पहले वह किसी भी धर्म का नही था बल्कि एक मनुष्य था।जैसे ही संसार से जुड़ा वह हि

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पेरेंट्स

30 जनवरी 2024
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प्रणाम सद्गुरू,               नई पीढ़ी ज्यादा चिंतित हो गई है बच्चो के परवरिश के लिए ।बच्चा अपने हाथ से खाना नही खा सकता तो माँ उसे खिलाती है पर वह थोड़ा बड़ा होने पर स्वय खा लेती है ।माँ फिर भी उसे

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मेडिटेशन

1 फरवरी 2024
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प्रणाम सद्गुरू ,              Meditation अच्छे व बुरे में फर्क करा देता है।दुध का दुध व पानी का पानी कर देता है। "ध्यान" को हमको समझना होगा। इन्सान अपने शरीर व मन से जुड़ा रहता है  वह अपने को अलग समझ

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मालिक कौन

2 फरवरी 2024
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प्रणाम सिस्टर,               मन मालिक हो जाता है जबकि मन को नौकर होना चाहिए। ये तादात्म्य टूटता ही नही जीवन भर आदमी मन की गुलामी करता रहता है। अधेड़ उम्र के होने पर भी जो बच्चे जैसा सरल स्वभाव वाला

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नश्वर

25 फरवरी 2024
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प्रणाम सद्गुरू, हाँ ;यदि हम निरंतर ये याद रखे की इस पृथ्वी पर हम मेहमान है कुछ समय के लिए आए हैं तो हमारा कदम अच्छाइयों की ओर होगा। हम बेकार चीजो में उलझे रहते है जबकि हमे यहाँ अधिक समय तक रहना न

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ध्यान:-मन शरीर आत्मा

26 फरवरी 2024
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प्रणाम सद्गुरू,                 मेडीटेशन (meditation) आज के युग की आवश्यकता है और प्रत्येक व्यक्ति को ध्यान जरुर करना चाहिए । ध्यान से ही शरीर व मन में अंतर महसूस कर पाते है ।ये बड़ा गम्भीर मामला

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जीवन का मकसद

1 मार्च 2024
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प्रणाम सद्गुरू,            हाँ सद्गुरू जिस प्रकार से एक पौधा पूरी तरह से खिल उठता है वातावरण में सुगंध बिखेर देता है उसी प्रकार से मनुष्य के जन्म का उद्देश्य अपनी पूरी संभावना के साथ खिल उठना है

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बच्चे और सच

1 मार्च 2024
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प्रणाम सिस्टर;                 हाँ बच्चे सच बोलते है कई ऐसे सच भी होते हैं जिसे बड़े लोग दबा देते है । बच्चे का मन अभी कोरा है अभी उसने चलाकिया नही सीखी जो सही है उसे प्रगट कर देता है । हमे बच्चो

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शक्ति का स्रोत

3 मार्च 2024
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प्रणाम सद्गुरू;                 जब मन व शारीरिक शक्ति एक हो जाए तो निश्चित ही व्यक्ति सफलता को प्राप्त करता है । लेकिन कहते हैं हमारे पास एक और शक्ति का स्रोत है जो जितना उपयोग होता है उतनी सामर

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मेरा स्वभाव

5 मार्च 2024
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प्रणाम सिस्टर,                    Yes; हम प्रसन्न आत्मा है। हम शांत है ही शांत होना हमारा स्वभाव है। हमारे परिधि में कुछ भी होता रहे पर केन्द्र में कोई हलचल नही होता वह अछुता है सुख दुख उसके लिए

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एकादशी

5 मार्च 2024
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प्रणाम सद्गुरू,                   एकादशी के दिन हम जागरुक हो सकते है अन्य दिन की अपेक्षा प्रकृति इस दिन हमे हमारी ऊर्जा को ऊपर उठाने में मदद करता है । हम अपनी जागरुकता को बढ़ा सकते हैं जितनी हम ज

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जागरुकता

11 मार्च 2024
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प्रणाम सद्गुरू                  हाँ, जागरुकता बहुत बड़ी कीमिया है । आमतौर पर हम जिसे जागरुक होना कहते हैं वो एक साधारण जीवन चर्या है जिसे रोजमर्रा की जिंदगी में जीते है । जागरुक एक अलग ही बात है

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योग

12 मार्च 2024
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प्रणाम सद्गुरू,                     हाँ, योग हमारे भौतिक शरीर को निराकार रुप में ले जाता है। वह प्रकृति के साथ हमे उस ऊर्जा से जोड़ देता है जो सर्वशक्तिमान है। सामान्यतः लोग योग का अर्थ शारिरीक व

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क्रोध:एक गुलामी

13 मार्च 2024
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प्रणाम सद्गुरू,                      Yes, क्रोध बुरा है समाज व खुद के लिए यदि क्रोध करेंगे तो लोग हमसे नाराज होंगे और क्रोध को रोकेंगे तो वह ऊर्जा हमे अंदर रुग्ण करेगी। क्रोध को हम दबा भी नही सक

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बोध

14 मार्च 2024
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प्रणाम सद्गुरू,                      Yes, हम रोजाना दैनिक क्रिया करते है। जिसमे पाचों इन्द्रियों का उपयोग होता है। जैसे हम खाना खाते है जीवन के लिए जो आवश्यक है पर जीभ से स्वाद लिया जाता है कभी

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शुभ का विचार

15 मार्च 2024
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प्रणाम सिस्टर,              येस, हम किसी को दोष क्यो दे जबकि सारा हमारा किया कराया है ।    हमारे अन्दर जरुर फूलो का खज़ाना होना चाहिए न कि काँटो का। शुभ सोचेंगे ,शुभ करेंगे तो वही वापस होकर बर

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प्रेम

16 मार्च 2024
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प्रणाम सद्गुरू,                      Yes, कोई फूल खिलता है तो उसकी सुगंध फैल जाता है चाहे कोई उसकी खुशबू ले या ना ले। इसकी वह परवाह नही करता वह खिलने में ही पूर्ण है। उसकी सुगंध पाकर कीट पतंग व

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प्रार्थना और माँग

16 मार्च 2024
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प्रणाम गुरुदेव ,                    हाँ, प्रार्थना में वो शक्ति है जो हमको सम्बल व शक्ति प्रदान करता है। अपने आस पास पूजा व प्रार्थना करते हम देखते है क्या ये यही प्रार्थना है। हम प्रेयर में क्य

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बीमा

17 मार्च 2024
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प्रणाम सद्गुरू,                      मनुष्य को अभी तक पता नही है क्या है सुख, क्या है आनन्द। हम अपना बीमा कराते है ताकि परिवार के सदस्यो को आर्थिक संकट से गुजरना न पड़े। मनुष्य कभी हसता है कभी रो

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अर्जुन और आँख

17 मार्च 2024
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प्रणाम आचार्य जी,                         हाँ यदि हमे स्पष्ट दृष्टि मिल जाए तो हम समझ सकते है। उस दिशा की ओर कदम बढ़ा सकते हैं जो जन कल्याणकारी होगा सत्य की ओर बढ़ सकते है।                जब किस

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माँ

17 मार्च 2024
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माँ हम जिसे पूजते है उसे कई रुपो में मानते है। कोई माँ कहता है कोई ईश्वर कोई परमात्मा कोई भगवान तो कोई अल्लाह कहता है। उस निराकार को लोग दो रुपो में विभाजित करते है एक पुरुष रुप व एक स्त्रैण रुप। इस

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देखने की दृष्टि

19 मार्च 2024
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प्रणाम स्वामी जी,                    हाँ,हमारा दृष्टिकोण निर्भर करता है कि हम कैसे देखते है। किसी घटना को हम कैसे लेते है जैसे एक गिलास पानी से आधा भरा है इसकी दो दृष्टिकोण हो सकता है एक तो गिला

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सेव ट्री

21 मार्च 2024
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प्रणाम सद्गुरू,                    हाँ, हमने शोषण ही शोषण किया है। पेड़ पौधे द्रुत गति से काट डाले जंगलो को नष्ट कर डाला। शहर से लगे आसपास के गांव अब शहर बन गए । अब ये शहर बनकर अपने आसपास के गां

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जल और चेतना

22 मार्च 2024
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प्रणाम सद्गुरू,                      जल ही जीवन है । जल हमारे लिए एक विकराल समस्या बनता जा रहा है। जलस्तर एकदम नीचे चला गया है। अब गाँवो में भी कई गाँवो का बोर सूखता जा रहा है ।अप्रैल के आते तक

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जियो और जीने दो

23 मार्च 2024
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प्रणाम गुरुदेव,                    हाँ, मेरा पेट भरा है तो सम्भावना है कि मैं दूसरो को खिलाऊँगा या किसी का भोजन तो नही छीन सकता। संतुष्टि वह विरामावास्था है जिसमे परिधि पर संसार तो चलता है केन्द

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होली

24 मार्च 2024
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प्रणाम सिस्टर,                   होली के त्यौहार का महत्व हमे समझना चाहिए। होली के एक दिन पूर्व होली जलाई जाती है ।लकड़ी,कन्डा या घास फुस को एकत्र कर जलाया जाता है। हमे इस आग में अपनी बुराइयां व

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जीवन: अन्दर व बाहर

24 मार्च 2024
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प्रणाम सद्गुरू,                      हाँ, जिस प्रकार से एक बीज में विशाल वृक्ष छिपा है। उसी प्रकार से हमारे अंदर ही असली राज छिपा है। आप अंदर से कैसे हैं वही बाहर शरीर मन व आपका जीवन शैली निर्भर

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नेकी और दरिया

27 मार्च 2024
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प्रणाम सिस्टर,                   हम किसी की मदद करे और उनसे इस तरह मदद की अपेक्षा न रखे क्योकि उसके सीडी में अलग अंकित है जो आपके सीडी में था आपने चलाया उसके सीडी है वो वैसा ही चलाएगा। याने कि न

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जीवन का उद्देश्य

27 मार्च 2024
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प्रणाम सद्गुरू,                     हाँ, हर व्यक्ति का कोई न कोई उद्देश्य होता है जैसे कोई पढ़ लिखकर नौकरी करना चाहता है। कोई बिजनेस करना चाहता है। कोई नेता या अभिनेता बनना चाहता है। यह उद्देश्य

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प्रेम की खुशबू

31 मार्च 2024
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प्रणाम गुरुदेव,                    हाँ, दुनिया से नफरत मिट जाए यही लोग चाहेंगे। जहाँ जहाँ हिंसा अपराध हत्या हो रहा है वहाँ के लोगो से पूछो तो जिन पर मौत हर पल गुजर रही है लोग सुकुन और शान्ति का

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पहला संकल्प

5 अप्रैल 2024
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प्रणाम सिस्टर ,                    हाँ, सुबह नींद खुलते ही हम परमात्मा को थैंक्स कहे । आज हमारी नींद खुल गई आज हम फिर जीवित है हमें एक मौका जीवन जीने का और दिया है। इस संसार में तो कई लोग रात सो

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हंसा तो मोती चुगे

19 अप्रैल 2024
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प्रणाम सिस्टर,                                Yes, हम वही देखे जो देखना चाहते है । हम वही बोले जो सकारात्मक है। हम वही सुने जो सत्यता की ओर ले जाए जिस तरह से एक बच्चा रेत से सीपी को चुन लेता है

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धरती माँ

22 अप्रैल 2024
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प्रणाम स्वामी जी,                          Yes, अब हमे अपना जीवन बचाना है तो पृथ्वी को सुरक्षित रखना होगा। बहुत दोहन कर लिए उसके प्रति संवेदनशीलता हमारी कम रही है। पेड़ पौधे काट डाले,उपजाऊ भूमि

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कोई शाकाहार नही है

23 अप्रैल 2024
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प्रणाम सिस्टर,                    Yes, हम क्या खाए और कैसा खाए हमारा शरीर एक भौतिक शरीर है जो मेटर से निर्मित है। जब किसी हिंसक व पालतु पशु-पक्षी का मांस खाते है तो उसका आचरण,डर व बल भी उसमे समा

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