प्रणाम सद्गुरू,
हाँ, हर व्यक्ति का कोई न कोई उद्देश्य होता है जैसे कोई पढ़ लिखकर नौकरी करना चाहता है। कोई बिजनेस करना चाहता है। कोई नेता या अभिनेता बनना चाहता है। यह उद्देश्य पुरा भी हो जाता है ।तब क्या आगे क्या होगा क्या यही पर फुल स्टॉप हो गया। क्या जीवन का यही उद्देश्य है । जीवन का उद्देश्य इतना छोटा होगा तो जीवन जीने का क्या मतलब । नही कहि कोई चुक हो रही है ।जीवन का उद्देश्य किसी नौकरी व्यवसाय से नही है । या तो जीवन का उद्देश्य बड़ा होगा या जीवन का कोई उद्देश्य ही नही होगा। परमात्मा ने आपको किसलिए भेजा है । आपका शरीर क्या करेगा और आपका मन क्या करेगा। जब हम आत्मा को शरीर और मन के द्वारा अनुभव कर लेंगे और पूरी तरह से अलग जान पायेंगे तो जीवन का कुछ उद्देश्य पूरा हुआ कहते है और आगे भी कदम होगा। यही पर समाप्त नही हो जाता।
ओशो के अनुसार "जीवन का लक्ष्य क्या है? यह प्रश्न तो बहुत सीधा-सादा मालूम पड़ता है। लेकिन शायद इससे जटिल और कोई प्रश्न नहीं है। और प्रश्न की जटिलता यह है कि इसका जो भी उत्तर होगा वह गलत होगा। इस प्रश्न का जो भी उत्तर होगा वह गलत होगा।
ऐसा नहीं कि एक उत्तर गलत होगा और दूसरा सही हो जाएगा। इस प्रश्न के सभी उत्तर गलत होंगे। क्योंकि जीवन से बड़ी और कोई चीज नहीं है जो लक्ष्य हो सकें। जीवन खुद अपना लक्ष्य है। जीवन से बड़ी और कोई बात नहीं है जिसके लिए जीवन साधन हो सकें और जो साध्य हो सकें।और सारी चीजों के तो साध्य और साधन के संबंध हो सकते हैं। जीवन का नहीं, जीवन से बड़ा और कुछ भी नहीं है। जीवन ही अपनी पूर्णता में परमात्मा है। जीवन ही, वह जो जीवंत ऊर्जा है हमारे भीतर। वह जो जीवन है पौधों में, पक्षियों में, आकाश में, तारों में, वह जो हम सबका जीवन है। वह सबका समग्रीभूत जीवन ही तो परमात्मा है। यह पूछना कि जीवन का क्या लक्ष्य है, यही पूछना है कि परमात्मा का क्या लक्ष्य है। यह बात वैसी ही है जैसे कोई पूछे प्रेम का क्या लक्ष्य है। जैसे कोई पूछे आनंद का क्या लक्ष्य है। आनंद का क्या लक्ष्य होगा, प्रेम का क्या लक्ष्य होगा, जीवन का क्या लक्ष्य होगा।"
save tree🌲save earth🌏&save life❤