छोटी चिड़िया छोटा घर,
पंख लपलपाते उधर,
फूलों के बीच उड़ जाती,
फिर प्यारी सी आवाज़ बनाती।
चिर-चिर-चिर, क्या करती हो,
ढूँढ रही हो अपना शोर,
क्या ढूँढती हो इतनी शक्ति,
स्वर्ग की आपर्णा या संसार की फुर्सती।
फूलों से नेक अपनी प्रियता,
दुनिया को देती है नई शिक्षा,
छोटी सी चिड़िया बनती है सबकी आशा,
उसकी आवाज़ में छिपा है संसार का रहस्या।