कुत्ता था एक खुश रहने वाला,
घूमता फिरता जहाँ भी चाहता।
उसे दोस्त चाहिए थे जी भर के,
कुछ खास दोस्त जो हमेशा रहते।
उसे मिली एक बिल्ली से रास्ता,
जो सुन्दर थी और थोड़ी दुर्बल।
कुत्ता सोचा कि उससे दोस्ती करूँ,
और उसके साथ करूँ मस्ती खुशबूल।
बिल्ली ने सोचा कि कुत्ते से बात करूँ,
क्या वो मुझे मारेगा या मैं उसे मारूँ।
पर दोनों मिले तो दोस्ती हो गई,
और एक दूजे को समझना शुरू हो गई।
कुत्ता-बिल्ली दोनों रहते थे साथ,
एक दूजे को समझते थे हर बात।
बिल्ली कुत्ते के घर जाकर सोती थी,
कुत्ता उसे रात भर रखता था जगाकर।
दोनों के बीच दोस्ती थी अनोखी,
जो जीवन भर याद रहेगी खुशी।
जब भी कुत्ता-बिल्ली की याद आएगी,
हंसते हुए हम सब उन्हें याद करेंगे तब भी।
दोस्ती का नाम होता है ऐसा,
जो जीवन भर बनी रहती है वैसा।
कुत्ते-बिल्ली ने सबको सिखाया,
यह सबको करके दिखाकर