जंगल का देवता हूँ मैं,
प्रकृति का रक्षक हूँ मैं।
यहाँ घने जंगलों में,
मैं सदा निवास करता हूँ।
मेरी आवाज आई धरती से,
बारिश के पानी में घुलता हूँ।
जंगल की हर जीवित चीज़,
मेरे बिना अधूरा है रहता।
ऊँची ऊँची वृक्षों के शाखों पर,
मैं बसता हूँ अपनी राहता।
हर पशु, पक्षी और भालू,
मेरे संरक्षण में बचते हैं।
जंगल का सच्चा सभ्यता,
अपने साथ रखता हूँ।
जंगली जीवों का मेरा कर्त्तव्य,
उनकी रक्षा करना सिखाता हूँ।
मैं जंगल की सुंदरता का प्रतीक,
वन्य जीवों की मैं संगता हूँ।
जंगल की हर बात में,
मैं अपना दर्शन देता हूँ।
जंगल का देवता हूँ मैं,
प्राकृतिक संतुलन की रक्षा करता हूँ।
जीव-जंतु का मैं संग्रह करता,
वन्य जीवों की रक्षा करता हूँ।