बहुत सी चींटियां और मक्खियां होती हैं,
गूंजती उनकी आवाज़ में होता हैं जीवन का सारा राज़।
चींटी की चाल नाज़ुक होती हैं,
वो भरती अपनी पेटी आशा से भरती हैं।
इसके खिलौने बचपन की याद दिलाते हैं,
कभी चलती हैं, कभी ठहरती हैं जैसे कोई मासूम सी बाला होती हैं।
मक्खी उड़ती हैं, उड़ती ही रहती हैं,
मीठे फलों की खुशबू से उनकी आँखें चमकती हैं।
इनका सदा मुंह खुला रहता हैं,
मीठी सी जुबान से गुनगुनाती हुई अपनी आवाज़ से सबका ध्यान खींचती हैं।
चींटियों की मेहनत का फल मीठा होता हैं,
मक्खियों का रंगीन जीवन जीना सीखाता हैं।
जीवन के सभी पहलूओं से सीख हमें मिलती हैं,
चींटी और मक्खी हमें एक नया जीवन दर्शाती हैं।