रात के अंधेरे में काफिर हूं मैं,
फिर भी न जाने क्यों डरता है दिल मेरा।
खुदा को न मानूं कभी,
फिर भी न जानें क्यूं,
हर घडी़ याद क्यों,
दिल करता है मेरा।
मुझे पता नहीं,
कौन है तू,
ऐ खुदा।
पर जो भी है तू,
बडा़ बेमिसाल है तू
बडा़ मददगार है तू,
तेरा शुक्र है,
ऐ मेरे रब,
तूने जो भी दिया,
बहुत ही दिया।