गलती से छुटकारा पाना है मुश्किल,
क्या गलत है और क्या सही,
कह पाना है मुश्किल।
यहां सबके अपने स्वार्थ है,
दुनिया के सुंदर पदार्थ है।
आदम और हव्वा ने क्या गलत किया,
मात्र एक फल जो वो खा लिया।
जिसके लिए उसे जमीन पर पटका गया,
सजा का सिलसिला तब शुरू हुआ।
सिर झुकाना यहां सही है,
सवाल उठना गलती है।
चाटुकारिता व्यापार है,
सच्चा बंदा बदबूदार है।
यहां झूठे का बोलबाला है,
सच्चे का तो मुंह ही काला है।
गधे करते राज है,
भेड़ियों के सर पर ताज है।
ये भी गलती कुछ खास है,
इससे छुटने की शक्ति अपने पास है।
अपना मत का ऐसा प्रयोग करो,
पिछली गलती को सुधार लो।
गरीबी से छुटकारा गर चाहिए,
अच्छी शिक्षा चुन लीजिए।
अंधभक्ति की राह छोड़ दो,
इस गलती को सुधार लो।
नए समाज का निर्माण हो,
जिसका धर्म बस विज्ञान हो।
जाति व्यवस्था ध्वस्त हो,
पाखंड आडंबर नष्ट हों।
यही मेरी है बस कामना,
ये गलतियों को सुधारना।
पूरा देश जब खुशहाल होगा,
तभी जाकर सभी का विकास होगा।
तब न कोई हिंदू होगा,
न मुसलमान होगा,
न सिख होगा, ना जैन होगा,
न बोध होगा, ना ईसाई होगा,
बस वो इंसान होगा,
जिसका धर्म बस विज्ञान होगा।
उठाएगा जो सवाल जब भी,
मिलेगा उसे जवाब तभी।
सवाल उसे गलत नही ठहराएंगे,
ऐसे बंदे अकलमंद कहलाएंगे।
गलती सुधारने का है मौका,
इस इलेक्शन में लगा दो छक्का।
दिखा दो ताकत अपनी उंगली की,
सुधारो गलती पिछली गलती की।