डियर दिलरुबा
दिनांक-11/9/22
दिन-रविवार
तुम अपना रंजो गम, अपनी परेशानी मुझे दे दो,
तुम्हें ग़मकी कसम अपनी निगेहबानी मुझे दे दो।
हां दिलरुबा तुम्हारे लिए ही तो लिख रही हूं,,,, तुम आजकल कुछ ज्यादा परेशान और तनाव में लग रही हो,,,,,, लगता है तुम्हारा मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं,, ।
मुझे आज का टॉपिक देखकर तुम्हारी फिक्र हो रही है,,, बहुत अधिक तनाव से हमारा मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ जाता है,,, और मानसिक रोग को जन्म देता है,,, । आजकल की भागदौड़ वाली जिंदगी में कौन है ऐसा जिसे तनाव नहीं किसी ,,,,को काम की चिंता,,,, किसी को घर गृहस्ती की,, किसी को समाज की चिंता,,,,,,,, तो किसी को रोज़ी रोज़गार की,,।
मनमर्जी के अनुसार काम ना होने पर तनाव इस कदर बढ़ जाता है कि व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ हो जाता है और और जाने अनजाने रोग का शिकार हो जाता है,,,।
शुरू में तो समझ में नहीं आता और जब तक पता लगता है बहुत देर हो चुकी होती है,,, ।
इसलिए शरीर के साथ-साथ हमें मस्तिष्क के स्वास्थ्य की भी चिंता करनी चाहिए,,,।
जैसे ही तनाव बढ़े उसे कम करने का प्रयास करना चाहिए,,,, म्यूजिक , व्यायाम संतुलित आहार अपनी पसंद का कोई कार्य तनाव कम करने में सहायक होता है। समस्या स्वयं से ना सुलझे तो तुरंत काउंसलर की सलाह लेनी चाहिए,,,।
और अगर समस्या ज़्यादा विकट है और मानसिक रोग का रूप धारण कर चुकी है तो मानसिक चिकित्सक को दिखाना आवश्यक होता है,,,,, मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ जाने पर मनुष्य का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है और मानसिक संतुलन खोने पर व्यक्ति अजीबोगरीब व्यवहार करने लगता है जिसे देखकर अपने लोग तो बहुत दुखी होते हैं पर दूसरों के लिए वह कभी कभी हंसी का पात्र बन जाता है,,,,,।
दिलरुबा आजकल मानसिक रोगी को लोग गंभीरता से नहीं लेते,,, आज भी कुछ जगहों पर चिकित्सक को दिखाने के स्थान पर लोग झाड़-फूंक और जादू सोने के चक्कर में पड़ जाते हैं ऐसे रोगी को जगह-जगह झाड़-फूंक के लिए ले जाया जाता है कोई कहता है इस पर भूत प्रेत का साया है कोई कहता है इस पर देवी आती है यह कभी हंसता है तो कभी रोता है,,,, यह उनकी समझ में नहीं आता कि अमुक व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ है और डिप्रेशन का शिकार हो गया है,,, इसको काउंसलिंग की सख्त जरूरत है,,।
लाख समझाने के बाद भी ऐसे लोगों की मानसिकता नहीं बदलती,,, मानसिक रोग का इलाज नहीं होता थोड़े समय इलाज के बाद रोगी पूर्णतया स्वस्थ हो सकता है लेकिन इलाज कराना जरूरी होता है,,,।
लेकिन दिलरुबा जो व्यक्ति दुखी होता है वह हर एक रास्ता अपनाता है ,,, और सोचता है मरीज को ठीक करने के लिए,,,,वह ऐसे क़दम उठा लेता है जो रोग को कम न करके और भी अधिक बढ़ा देते हैं,,,।
दिलरुबा तुम्हें याद है हमारे घर काम करने के लिए आशा आया करती थी,, उसके तीन बेटियों के बाद एक बेटा हुआ था,,, जो कुछ महीनों के बाद इस दुनिया में नहीं रहा आशा को ऐसा सदमा लगा कि वह डिप्रेशन में चली गई और अपना मानसिक संतुलन खो बैठी,,, ।
कई साल बाद जब मैंने उसको एक दुकान पर इस अवस्था में देखा तो उसकी मदद करनी चाहिए उसके पति से बात की,,, पर उसका पति नहीं माना कहने लगा मैडम आप परेशान ना हो हमने बहुत इलाज करवाया आज भी इसकी झाड़ फूंक जारी है,,, ।
बस इस पर भूत का साया है,,, बच्चे की आत्मा इस पर आती है और यह घंटो उसी से बातें करती है यह बीमार नहीं है और ना ही इसे किसी दवा की जरूरत है,,,,,।
मैं आश्चर्यचकित होकर उसको देखती रही पर उसे समझाने में असमर्थ रही मैं नहीं समझा पाई के आशा डिप्रेशन की शिकार है,, मानसिक रूप से अस्वस्थ हो गई है,,, इसीलिए कभी हंसती है कभी रोती है,,,, उसके पति के आगे मेरी एक ना चली मैं कहती रही इसको मानसिक चिकित्सक को दिखाओ ,,, काउंसलिंग की सख्त जरूरत है,,, और इसे इलाज की आवश्यकता है पर वह नहीं माना,,,,।
आप ही बताएं यह अज्ञानता और अंधविश्वास नहीं तो क्या है,,, ऐसे लोगों में मनोरोग होने के साथ-साथ मानसिक रोग भी और विकट हो जाता है जिसके ठीक होने की संभावनाएं बिल्कुल समाप्त हो जाती हैं,,,,मानसिक रूप से अस्वस्थ होने पर रोगी को अवश्य ही इलाज कराना चाहिए तनाव से बचने के लिए योग और संतुलित भोजन अपनाना चाहिए जिससे मानसिक रोग होने की संभावनाएं कम जाती हैं,,,,,,,।
तो साथियों अपने मानसिक स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान दें,,।
आज के लिए बस इतना ही अब चलती हूं दिलरुबा बहुत से काम अभी मेरी प्रतीक्षा में है,,, फिर मिलूंगी किसी और समस्या को लेकर या फिर कुछ और अनकहे विचारों को साझा करने के लिए,,,,,,।
खातून-