डियर दिलरुबा,
दिनांक -24/9/22
तुझे क्या सुनाऊं मैं दिलरुबा तेरे सामने मेरा हाल है,,, हां दिलरुबा,,, तुम तो सब जानती ही हो,, क्या है ऐसा मेरे बारे में जो तुम्हें नहीं पता,, दिल बड़ा उदास है,,, ज्यादा कुछ नहीं लिख पाऊंगी,, आज मेरे भाई की बरसी है यानी आज के दिन वह इस संसार से रुखसत हो गए थे खुदा उनको जन्नतुल फिरदोस में आला मुकाम अता फरमाए आमीन,, बस भारी मन से उनकी याद में कुछ लिखा है,,,
वो फक़त चंद यादें हैं जो हमराह मेरे
तन्हाई में भी तनहा मुझे रहने नहीं देतीं,
हरचंद कोशिश है के मैं भूला दूं उनको
शिकायत है मगर ऐसा होता नहीं मुझसे,
बे बवक़्त ही वो खुलकर बिखर जाती है
यादों के पिटारे को संभालूं तो संभालूं कैसे,
जब भी खुलता है उनकी यादों का पिटारा
याद आता है गुज़रा हुआ वह मंजर सारा
सोचती हूं दुनिया की रंगीनियों में खो जाऊं
मजबूर हूं मगर यह भी तो होता नहीं मुझसे
याद तड़पाती हैं अपने उस भाई की मुझे
एक साल हुआ जिनको अभी दुनिया से गए,,,।
ख़ातून-