डियर दिलरुबा
दिनांक -15/9/22
समय-रात-9:15
प्यारी दिलरुबा आज तुम से मिलने आने में थोड़ा समय लग गया,,, क्या करूं अभी भी जल्दी आ गई समय तो मुझे 11:00 बजे के बाद ही मिलता है ख़ैर यह तो रोज़ का रोना है,,,, ।
😊अब बात कर लेते हैं मानवीय पूंजी की,,, किसी भी बिजनेस, स्कूल, ऑफिस यह समझ लो हर काम के लिए रुपए पैसों के साथ-साथ मानवीय पूंजी की भी बहुत आवश्यकता होती है,,,, या यूं कहो मानवीय पूंजी के बिना कुछ कार्य तो बिल्कुल ही असंभव है,,, प्रत्येक कार्य को करने के लिए अलग प्रकार कौशल से युक्त ज्ञाता यानी जानकारी वाले व्यक्तियों की आवश्यकता होती है,,,,,।
किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए मनुष्यों का समूह ही उस कंपनी की मानव पूंज कहलाता है
😊 यही वजह है आजकल बड़ी-बड़ी कंपनियां ऐसे व्यक्तियों में निवेश कर रहीं हैं जिससे उन्हें वह मानवीय पूंजी प्राप्त हो सके जो उनके कार्य को सुचारु रुप से बढ़ाने में सक्षम हो,,,,।
😊 इसलिए ही आजकल यह प्रयत्न किया जा रहा है के अनेक प्रकार के वह कौशल जो उनके कार्य को आगे बढ़ा सके लोगों में विकसित किए जा सकें,,,,,,, या ढूंढ ढूंढ कर महत्वपूर्ण गुणों से युक्त लोगों का कैंपस सिलेक्शन कर किया जाना भी इसका एक उदाहरण हैं,,, मानवीय पूंजी के द्वारा कोई भी व्यापार या कोई भी कार्य तभी सफल होगा जब उसमें काम करने वाले लोग विभिन्न प्रकार के ज्ञान और गुणों से युक्त होंगे,,, कुल मिलाकर इतना जान लो दिलरुबा मानवीय पूंजी का अर्थ है,,,
😊“व्यक्तियों की संख्या को प्राप्त करने और बढ़ाने की प्रक्रिया जिनमें कौशल, शिक्षा और अनुभव होता है जो देश के आर्थिक और राजनीतिक विकास के लिए महत्वपूर्ण होते हैं । इस प्रकार, यह मनुष्य में निवेश और उसके विकास के साथ एक रचनात्मक उत्पादक संसाधन के रूप में जुड़ा हुआ शब्द है,,।
😊भारत में मानवीय पूंजी बहुत अधिक है यही वजह है कि विदेशों में भी हमारे देश के युवा नौजवान बूढ़े जो अनेक कौशलों से युक्त हैं अधिक मात्रा में काम कर रहे हैं,,, जिससे हमारे देश में विदेशी मुद्रा का आगमन हो रहा है,,, जिससे भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है,,,।
😊जितने लोग शिक्षित और विभिन्न प्रकार के कौशलों से युक्त होंगे,, उतनी ही मानवीय पूंजी देश के और समाज के काम आ सकेगी,,,
😊इसी प्रकार दिलरुबा घर, परिवार, और समाज में जो मानवीय पूंजी आवश्यक समझी जाती है वह है मनुष्य के आत्मिक गुण,,, प्रेम, दया ,सहानुभूति, इंसान का सबसे बड़ा गुण है सबसे बड़ी पूंजी है,,, क्योंकि जैसा बोओगे वैसा काटोगे,,, इंसान का व्यवहार ही इंसान को प्रसिद्धि दिलाता है,, नहीं तो खाली हाथ आता है इंसान और खाली हाथ जाता है,,,,,,,।
😊 इंसान के चले जाने के बाद भी उसको ख्याति उसके गुण और स्वभाव ही दिलाते हैं अतः मानव में दूसरों के दिलों पर राज करने का कौशल भी अवश्य ही होना चाहिए,,, असली मानवीय पूंजी तो यही है दिलरुबा,,
अंत में साथियों कबीर के दोहे के साथ मैं अपनी बात पूरी करती हूं,,,
जो तोको काँटा बुवै ताहि बोव तू फूल।
तोहि फूल को फूल है वाको है तिरसुल॥
🌹ख़ातून-